उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृहनगर का सरकारी मेडीकल कॉलेज एक दिन के लिए मासूमों का मौत घर बन गया। ऐसे कई दर्जन बच्चे जिनके माता-पिता उन्हें उपचार के लिए यहां लाये थे उनकी लाशों को लेकर लौटने को मजबूर होना पड़ा। इस हृदय विदारक घटना की खबर ने हर संवदेनशील नागरिक को झकझोर कर रख दिया। एक साथ इतनी संख्या में हुई मौतों में गैस सप्लाई में लापरवाही बतायी जा रही है। सरकार के स्वास्थ्य मंत्री ने सफाई देनी शुरु कर दी है तथा सबसे अशुभ बात यह है कि एक दिन में हुई इतनी बड़ी संख्या को मंत्री महोदय वार्षिक मौतों के आंकड़ों में उलझाने का प्रयास कर रहे हैं।
इन मौतों के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री दोनों जिम्मेदार हैं। दशकों से यहां से मुख्यमंत्री एमपी बनते रहे हैं तथा आज वे मुख्यमंत्री हैं। बच्चों में यह जानलेवा बीमारी उससे भी पुरानी है। उन्हें जबाव देना होगा वे अपने इलाके में जड़ जमा चुकी इस महामारी के उन्मूलन के लिए कोई उपाय क्यों नहीं कर पाये? प्रतिवर्ष बरसात में पैर पसारने वाली इस बीमारी से बचाव अथवा उपचार की कोशिश क्यों नहीं की गयी?
यह भी सभी जानते हैं कि ग्रामीण गरीब लोगों के बच्चों में यह बीमारी फैलती है। जिस ओर पिछली किसी भी सरकार का ध्यान नहीं गया और प्रतिवर्ष गरीबों के कलेजों के टुकड़े भारी संख्या में काल कवलित होते आ रहे हैं। धनी या बड़े लोगों को सुविधाओं के लिए सारी सुविधायें उपलब्ध हैं। यदि योगी या उनके किसी मंत्री को सरदर्द भी हो जाये तो सरकारी विमान में उन्हें तुरंत देश के किसी बड़े अस्पताल तथा जरुरत होने पर उन्हें विदेश तक भी ले जाया जा सकता है। इस बीमारी के निदान के लिए विश्व स्तरीय तैयारी की बहुत पहले जरुरत थी। अब इसमें देरी नहीं होनी चाहिए। इसका स्थायी इलाज संभव है।
-जी.एस. चाहल.
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