भाजपा सांसद कंवर सिंह तंवर ने अपने कार्यकाल के साढ़े तीन साल पूरे कर लिए, उनके पास अब डेढ़ साल का समय बाकी है। इस अंतराल में उन्होंने अपने चुनावी घोषणा पत्र में जनता से किये कुल 11 वायदों में से एक भी वायदे को पूरी तरह नहीं निभाया। इससे पूरे लोकसभा क्षेत्र में सांसद के प्रति जनता में नाराजगी है। भारतीय जनता पार्टी में भी इसी कारण आपसी गुटबंदी बढ़ती जा रही है जिसका खामियाजा उसे लोकसभा चुनाव में भुगतना पड़ सकता है। लोग तंवर को अगली बार उम्मीदवार न बनाने की मांग करने लगे हैं।
2014 के लोकसभा चुनाव में कंवर सिंह ने चुनाव जीतने के लिए जनता से 11 चुनावी वायदे किये थे, जिनकी प्रतियां आज भी कई लोगों के पास हैं। एक तरह से यह तंवर का निजि चुनावी घोषणा पत्र था जिसमें बेरोजगारों को लाखों की संख्या में रोजगार दिलाने, क्षेत्र में 24 घंटे बिजली उपलब्ध कराने, क्षेत्र के सभी रेलवे स्टेशनों पर अधिकांश ट्रेनों का ठहराव सुनिश्चित कराने, सुदूर खादर क्षेत्र के उपेक्षित गांवों में पक्की सड़कें बनवाने, अमरोहा, हसनपुर आदि सभी शहरों की जलभराव की समस्या का समाधान कराने, तकनीकी और मेडीकल शिक्षण संस्थाओं और विश्वविद्यालयों की स्थापना कराना, स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए सर्वसुविधा संपन्न बड़े अस्पताल खुलवाने तथा गन्ने सहित किसानों की फसलों का उचित मूल्य दिलाने सहित कुल 11 वायदे किये थे।
इसी के साथ चकनवाला गांव के पास रामगंगा पोषक नहर पर पक्का पुल बनवाने के लिए उन्होंने सारा खर्च अपनी जेब से करने को कहा था बल्कि चकनवाला उनका गोद लिया गांव है। जो अभी भी विकास में अपने विकास खंड के बहुत से गांवों से पीछे है।
घोषणा-पत्र के उपरोक्त वायदों पर यदि सिलसिलेवार नजर डाली जाये तो क्षेत्र में लगातार बढ़ रही बेरोजगारों की फैाज की संख्या कम करने की ओर सांसद ने बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया। इस दौरान नौकरियों की संख्या घटी बल्कि हजारों शिक्षामित्रों को अध्यापक के पद से हाथ धोना पड़ा। गजरौला में लगी फैक्ट्रियों में स्थानीय नवयुवकों को रोजगार मिलने के बजाय बड़ी संख्या में उनकी छंटनी की जाने लगी। इसराइल की टेवा कंपनी के प्रबंधकों ने तो यहां के पढ़े-लिखे तथा कुशल और प्रशिक्षित नवयुवकों को अयोग्य कहकर लेने से इंकार कर दिया था। नाराज युवाओं ने प्रबंधन का थाने चौराहे पर पुतला भी फूंका लेकिन सांसद क्षेत्र से गायब रहे और उनका एक भी चाटूकार बेरोजगारों के पास तक नहीं फटका।
गजरौला में रेलवे स्टेशन के सामने दैनिक रेल यात्री तथा कई जागरुक लोग वर्षों से यहां राजरानी सहित कई ट्रेनों के ठहराव की मांग करते हुए प्रदर्शन और धरने दे रहे हैं जिनके समाचार सभी अखबारों में लगातार छप रहे हैं। रेलों के ठहराव का चुनाव पूर्व किया सांसद का यह वायदा भी झूठ का पुलंदा बन कर रह गया.
खादर के जिन गांवों में सांसद ने पुल और सड़क बनवाने के बड़े-बड़े वायदे किये उनमें पहुंचने के लिए चकनवाला के पास पक्के पुल का वायदा था। यहां पीपों का अस्थायी पुल है जो बरसात में तोड़ दिया जाता है। पुल के पार बसे एक दर्जन से ज्यादा गांवों के लोगों के साथ यह बड़ी नाइंसाफी है। सांसद ने वायदे के बाद साढ़े तीन साल में उधर झांक कर भी नहीं देखा। जबकि इन सभी गांवों के समग्र विकास की बात उन्होंने चुनाव में बड़े जोरशोर से उठायी थी।
सांसद की ओर से धनौरा, अमरोहा, हसनपुर तथा नौगांवा सादात विधानसभाओं के ग्रामांचलों में सड़कें बनवाने का जोरशोर से वायदा किया गया था। सांसद ने इन इलाकों में अभी तक सड़कों की हालत देखी तक नहीं। बनवाने का सवाल ही कहां उठता है?
वैसे तो सांसद के क्षेत्र में गंगा के दोनों ओर लगभग डेढ़ हजार से अधिक गांव हैं। उन्हें सभी गांवों के विकास पर ध्यान देना चाहिए था लेकिन उन्होंने अपने गोद लिए गांव चकनवाला तक का भी अपेक्षित विकास नहीं कराया। साढ़े तीन साल में जब एक गांव का भी विकास नहीं हो सका तो पूरे लोकसभा क्षेत्र के गांवों के विकास के लिए तो सांसद को कई सदियां चाहिएं।
-टाइम्स न्यूज़ गजरौला.
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