पालिकाध्यक्ष पद का चुनाव बहुत ही रोचक मोड़ पर है। भले ही यहां 14 उम्मीदवार मैदान में हैं लेकिन ताज़ा आकलन के मुताबिक प्रमुख मुकाबला पांच उम्मीदवारों में है। सपा प्रमुख लड़ाई से बाहर दिख रही है। जो पांच प्रतिद्वंदी प्रमुख मुकाबले में हैं उनमें भाजपा की अंशु नागपाल, बसपा के जाफर मलिक, रालोद के अनिल गर्ग हैं। इसी के साथ पूर्व चेयरमेन रोहताश शर्मा निर्दल उम्मीदवार होते हुए उपरोक्त तीनों उम्मीदवारों में मजबूती से लड़ रहे हैं जबकि दूसरे निर्दल उम्मीदवार अशोक कश्यप पिछले तीन वर्षों से घर-घर जाकर जनसंपर्क में हैं। उनका दावा है कि उनको भारी जनसमर्थन है जो फिलहाल मौन है तथा समय पर अपना फैसला देगा।
वैसे ये सभी लोग मतदान की तारीख करीब आते-आते पूरे जोर लगायेंगे। इसमें जो सबसे अधिक संसाधन और कूटनीतिक बल का प्रयोग करेगा, बाजी मार लेगा। भाजपा उम्मीदवार के पास जहां सत्ता तथा प्रचारक शक्ति सबसे अधिक है वहीं भीतरघात का भी उसे सबसे अधिक खतरा है। रोहताश शर्मा का प्रचार तंत्र इनमें सबसे मजबूत है लेकिन बसपा से ऐन मौके पर निष्कासन से उन्हें नुक्सान हो सकता है। अनिल गर्ग रालोद के सहारे जाट मतदाताओं को अपने पक्ष में करना चाहते हैं लेकिन यह बिरादरी भाजपा को नहीं छोड़ना चाहती।
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यदि अंशु नागपाल, रोहताश शर्मा, अनिल गर्ग तथा अशोक कश्यप कम अंतर से लड़ते रहे तो बसपा उम्मीदवार जाफर मलिक को उसका लाभ मिल सकता है। सपा, कांग्रेस तथा बसपा के अल्पसंख्यक मतदाता जाफर के पक्ष में भाजपा के भय से एकजुट हो रहे हैं। लेकिन दलित वोट बैंक कई जगह बंटने और हरपाल सिंह तथा राजीव तरारा के कारण भाजपा की ओर झुकने से जाफर के लिए खतरनाक स्थिति बन रही है।
मतदान के समय तक हालात बदल सकते हैं। ऐसे में कुछ भी नहीं कहा जा सकता लेकिन जय-पराजय का अंतर इस बार बहुत अधिक नहीं रहेगा।
-टाइम्स न्यूज़ गजरौला
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