भाजपा सरकारें (केन्द्र और राज्य) किसानों के हित में बयान देते नहीं थक रहीं। टीवी चैनलों तथा अखबारों में इसके लिए केन्द्र सरकार की ओर से विज्ञापन आदि प्रचार में करोड़ों रुपये खर्च कर दिये। कई फिल्मी स्टारों को भी इसके लिए भारी भरकम राशि दी जा रही है। विज्ञापनों और कृषि के प्रचार पर जितना धन खर्च किया जा रहा है यदि यह धन किसानों के विद्युत बिल और उर्वरकों आदि में रियायत पर खर्च किया जाता, तो किसानों की तकदीर और तस्वीर बदल गयी होती। किसानों के बहाने पहले से देश के अधिकांश धन पर कब्जा जमाये बैठे चंद अभिनेता, क्रिकेटर और बड़े-बड़े उद्योगपतियों को ही पाला पोसा जा रहा है।
केन्द्र सरकार के मुखिया नरेन्द्र मोदी पहले किसानों की आय डेढ़ गुना करने का राग अलाप कर सत्ता पर कब्जा कर बैठे। बाद में किसानों की आमदनी दोगुना करने का राग शुरु हो गया। मजेदार बात देखिये हाल ही में गुजरात के चुनावों में कई चीजों पर जीएसटी दर घटायी गयी और ट्रैक्टरों पर छह नवम्बर के अमर उजाला कारोबार में छीपी खबर के मुताबिक 12 फीसदी की जगह 28 फीसदी जीएसटी लगा दी। इससे ट्रैक्टरों की कीमत स्वतः औसतन साठ हजार रुपयों तक बढ़ जायेगी। इसी के साथ कांग्रेस के समय से उस कानून को रद्द कर दिया गया जिसमें ट्रैक्टर को गैर-वाणिज्यिक वाहन मानकर सभी तरह के करों से मुक्त रखा गया था। इसकी जगह अब ट्रैक्टर गैर-वाणिज्यिक वाहनों में शुमार हो गया। इस तरह की सारी औपचारिकताओं पर परिवहन और यातायात मंत्रालय की मोहर लग चुकी। अब ट्रकों तथा बसों की तरह सारे परिवहन-कर ट्रैक्टरों पर भी लगेंगे। इस कदम से किसान, ट्रैक्टर कारखाने तथा दूसरे कई कार्यों में लगे लोग बरबाद होंगे।
'बिजली दामों का जमकर विरोध करेंगे’ -डूंगर सिंह
भाकियू जिला अध्यक्ष डूंगर सिंह ने कहा है कि आजाद भारत में जितनी भी सरकारें आयीं उन्होंने अन्नदाता का शोषण ही किया लेकिन मौजूदा सरकार उन सभी सरकारों से आगे निकल गयी। डूंगर सिंह ने किसानों के गन्ने सहित सभी फसलों का उचित मूल्य दिलाने की मांग की। उन्होंने कहा कि उन्हें बिजली बिलों को दोगुना किये जाने की जानकारी मिली है। यदि वह ऐसा करना चाहती है तो हमारे गन्ने, गेहूं, धान, आलू सहित तमाम उत्पादों के मूल्य भी दोगुने कर दे। हम दोगुना बिल भरने से इंकार नहीं करेंगे। मिल मालिक अपने सामानों की कीमतें बढ़ा रहे हैं और सरकार उनका बिजली बिल नहीं बढ़ा रही। उन्होंने चेताया कि किसानों के शोषण का प्रयास हुआ तो किसान इस बार चुप नहीं बैठेगा। सारे किसान संगठन एकजुट होकर विरोध करेंगे।
मोदी सरकार से योगी सरकार भी पीछे नहीं रहने वाली। अब किसानों तथा गांव में बिजली उपभोक्ताओं पर मार पड़ने गयी है। ट्यूबवैल आदि के बिजली बिल दोगुने के करीब हो गए हैं। जबकि शहरों पर नाम मात्र का बोझ बढ़ेगा। उद्योगपतियों के बिल यथावत रहेंगे। किसानों और गांव वालों को जल्दी ही पता चल जायेगा कि दो इंजनों वाली सरकार उनके लिए कितना काम कर रही है। किसानों की आमदनी बढ़ाने के गीत गाये जा रहे हैं और काम उद्योगपतियों और पूंजीपतियों के लिए हो रहा है। चीनी के भाव मोदी सरकार ने पिछले वर्ष ही ढाई हजार कुन्टल से चार हजार कर दिये जबकि गन्ने का भाव लगभग वही है।
पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश से यूरोपीय देशों को भारी मात्रा में चावल निर्यात होता था। इस बार से इन सभी देशों ने भारतीय चावल मंगाने से इंकार कर दिया। यह चावल अब पाकिस्तान निर्यात करेगा। बताया जा रहा है कि हमारे चावल पर जो पेस्टीसाइड छिड़का गया उसका प्रभाव चावल पर पड़ा है। यह शिकायत पहले भी थी। यदि ऐसा था तो सरकार को इस तरह के पेस्टीसाइड बनाने वाली इकाई पर पाबंदी लगा देनी चाहिए थी। चावल निर्यात न होने से चावल का मूल्य गिरा है तथा इससे देश को मिलने वाली विदेशी मुद्रा से भी देश को नुक्सान होगा। पहले ही हमारा निर्यात बढ़ने के बजाय घट रहा है।
-टाइम्स न्यूज़ अमरोहा.
Gajraula Times के ताज़ा अपडेट के लिए हमारा फेसबुक पेज लाइक करें या ट्विटर पर फोलो करें. आप हमें गूगल प्लस पर ज्वाइन कर सकते हैं ...