महबूब अली अपने राजनैतिक सफर में विपक्षी नेताओं के साथ ही अपनी पार्टी के नेताओं के निशाने पर भी रहे हैं। उनकी राजनैतिक हैसियत को दोनों ओर से हमले कर कमजोर करने की बार बार कोशिश की गई लेकिन वह हर बार और अधिक मजबूत होकर राजनीतिक मंच पर उभरे।
बीते विधानसभा चुनाव में लोक सभा अमरोहा की पांचों विधानसभाओं में से 4 विधानसभा सीटों को मोदी लहर में सपा गंवा बैठी जबकि महबूब अली इस को धता बताते हुए विजय हुए। यही नहीं एमएलसी चुनाव में उनका बेटा परवेज अली प्रदेश भर में रिकार्ड अंतर से विजयी रहा। जबकि चुनाव में पूर्व मंत्री कमाल अख्तर और मूलचंद चौहान जैसों को भाजपा के हाथों मुंह की खानी पड़ी।
विधायक और पूर्व मंत्री महबूब अली को प्रदेश सरकार द्वारा लोक लेखा समिति का सभापति बनाया गया है। इससे उनके समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गई। कई लोगों ने लड्डू बांटकर खुशी का इजहार किया।
लोक लेखा समिति चेयरमैन का पद मिलना बड़े सम्मान की बात है। इससे पूर्व सपा नेता स्वर्गीय रमाशंकर कौशिक को यह पद मिला था तो सपा कार्यकर्ताओं ने इसे मंत्री पद से भी बड़ी उपलब्धि करार देकर यह जताने की कोशिश की कि पूरे प्रदेश में उन से बड़ा कोई नेता नहीं है। महबूब अली को यह पद मिलने से विपक्षियों से अधिक परेशानी उनकी अपनी पार्टी सपा के कई नेताओं को हो रही होगी।
इससे एक बात और स्पष्ट हो गई है कि 2019 में यहां से संसदीय चुनाव के लिए महबूब अली की सहमति से पार्टी टिकट देगी।
-टाइम्स न्यूज़ अमरोहा.
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