गजरौला से सीखें जिले के दूसरे शहर

गजरौला में स्वच्छता अभियान के लिए यहां की पालिकाध्यक्ष अंशु नागपाल ने कमर कस ली है.

जिले का सबसे शांत नगर स्वच्छता और अतिक्रमण हटाओ में पिछड़ गया है। वैसे अमरोहा और हसनपुर की हालत भी बद से बदतर है। नौगांवा सादात, उझारी और जोया तीनों नगर पंचायतों की हालत भी कमोबेश ऐसी ही है।

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गजरौला पालिकाध्यक्ष अंशु नागपाल ने कार्यभार संभालते ही जिस लग्न और परिश्रम का परिचय दिया उससे नगर की शक्ल सूरत बदल गयी तथा कई जरुरी स्थानों पर नये शौचालयों का निर्माण कर वास्तव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वच्छ भारत मिशन के नारे को साकार किया है। इन शौचालयों के रख-रखाव और स्वच्छता पर पालिका प्रशासन का सख्त पहरा है। इसी कारण ये सार्वजनिक शौचालय लोगों के निजि शौचालयों से भी बेहतर तथा स्वच्छ हैं।

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गजरौला की पालिकाध्यक्ष अंशु नागपाल ने पिछले दिनों सार्वजानिक शौचालयों का उद्घाटन किया था.
मंडी धनौरा में राजेश सैनी को लोगों ने दूसरा मौका देकर बड़ा दायित्व सौंपा है लेकिन उनके इस कार्यकाल का आरंभ बहुत ही लापरवाही भरा दिखता है। बाईपास रोड पर अतिक्रमणकारियों ने कब्जा कर उन्हें खुली चुनौती दी है। वहीं उनका पुश्तैनी आवास होने के बावजूद वे कुछ भी नहीं कर पा रहे तथा इसी कारण यहां सफाई व्यवस्था भी ठप्प सी है। पूरे नगर की सड़कों का बुरा हाल है। स्वच्छता में तीन दशक पूर्व दूर-दूर तक पहचान रखने वाला मंडी धनौरा आजकल गंदा और अतिक्रमणग्रस्त नगर बनकर रह गया है। हसनपुर और अमरोहा ऐसे शहर बन चुके जहां पहले से ही तंग रास्तों पर अतिक्रमण ने लोगों का जीवन दूभर कर दिया है। इन सभी को गजरौला अध्यक्ष से सीखना चाहिए।

-टाइम्स न्यूज़ मंडी धनौरा.


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