रेनू चौधरी की कुर्सी पर 26 को फैसला : रेनू का तख्ता पलट के लिए भूपेन्द्र की मजबूत रणनीति

रेनू चौधरी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का यह दूसरा मौका है. पिछली बार चौ. भूपेन्द्र सिंह नाकाम रहे थे.
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रेनू चौधरी (जिला पंचायत अध्यक्ष अमरोहा) और सरिता चौधरी (जिला पंचायत सदस्य अमरोहा).

जिला पंचायत अध्यक्ष रेनू चौधरी की कुर्सी बचेगी या जायेगी यह तो 26 फरवरी को ही पता चलेगा। वैसे इस मामले में सपा और भाजपा दोनों ही खेमों में आपसी मतभेद हैं। भले ही अविश्वास प्रस्ताव का नेतृत्व कर रही जिला पंचायत सदस्य सरिता चौधरी के खेमे में 16 सदस्य हैं तथा वे सभी उनके साथ अज्ञातवास में सरिता के पति चौ. भूपेन्द्र सिंह के साथ हैं लेकिन रेनू खेमा उनमें से दो सदस्यों को अपने पाले में मानकर चल रहा है। इसमें कहां तक सच्चाई है, यह कहना आसान नहीं, फिर भी रेनू चौधरी की कुर्सी को तबतक सुरक्षित नहीं माना जा सकता तबतक 16 सदस्य सरिता चौधरी के कब्जे में हैं तथा 26 फरवरी में वे मतदान उनके पक्ष में नहीं करते।

रेनू खेमा भले ही अपनी स्थिति सुरक्षित मान रहा हो लेकिन इसकी उम्मीद न करने का एक मजबूत आधार भी है। सरिता खेमे में अज्ञातवास में मौजूद जिन दो सदस्यों को रेनू अपना मान रही हैं, यदि उनपर जरा भी संदेह सरिता खेमे को हुआ तो सरिता खेमा यह भी कर सकता है कि वह मतदान का समय समाप्त होने के बाद ही उन्हें अपनी मेहमान नवाजी से मुक्त करे। ऐसे में मौजूद 16 में से चौदह सदस्य सरिता के पक्ष में होने से रेनू की पराजय सुनिश्चित है।

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पूर्व कैबिनेट मंत्री चौधरी चंद्रपाल सिंह, रेनू चौधरी, सरिता चौधरी और भूपेन्द्र सिंह (फाइल फोटो).

हो सकता है सरिता खेमा अपने सभी 16 सदस्यों को साथ लेकर मतदान के लिए पहुंचे। लेकिन सभी सदस्यों पर पूरा भरोसा होने पर ही यह संभव होगा। इस तरह के शक्ति परीक्षणों के पिछले अनुभव हमें याद दिलाते हैं कि सदस्यों पर थोड़ा भी संदेह होने पर उन्हें मतदान का समय रहने तक नजरबंद कर दिया गया। बाद में मतदान का समय समाप्त होने पर छोड़ा गया। पिछले एक ब्लाक प्रमुख शक्ति परीक्षण में दो सदस्यों को गुप्त स्थान पर तबतक रोके रखा, जबतक मतदान का समय समाप्त नहीं हुआ।

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रेनू चौधरी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का यह दूसरा मौका है। पिछली बार चौ. भूपेन्द्र सिंह नाकाम रहे थे, इस बार उन्होंने मजबूत तैयारी के साथ कदम बढ़ाये हैं तथा भाजपा के सांसद कंवर सिंह तंवर से सलाह मश्विरा कर आगे बढ़े हैं। ऐसे में रेनू चौधरी का तख्ता पलट करने में वे सफल भी हो सकते हैं। फिर भी 26 फरवरी से पहले दावे के साथ कुछ नहीं कहा जा सकता।

-टाइम्स न्यूज़ अमरोहा.


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