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अनमोल ने सीबीएसई बोर्ड की बारहवीं की परीक्षा 96.4 % अंक से उत्तीर्ण की है. |
अपनी उपलब्धि के लिए विजय नगर निवासी ग्राम विकास अधिकारी सतेन्द्र सिंह के पुत्र अनमोल का कहना है कि वे नियमित पढ़ाई को इसके लिए जिम्मेदार मानते हैं। वे कहते हैं,‘मैंने शैड्यूल के मुताबिक अध्ययन किया जिसका मुझे फायदा मिला। जब आप कोई टारगेट बनाते हैं, समय फिक्स करते हैं, तो आपको मालूम रहता है कि किस विषय को कितना समय दे रहे हैं। नियम और मन से किया कार्य सफलता की सीढ़ी है।’
अनमोल आगे कहते हैं,‘दस-बारह घंटे की पढ़ाई रोज की जानी चाहिए। यह उतना मुश्किल भी नहीं है। हां, शुरुआत में कुछ दिक्कत पेश आ सकती है। लेकिन जब आप नियम से कोई कार्य करते हैं, तथा खुद पर भरोसा करके करते हैं, तो मुश्किल चीज़ें भी सरल लगने लगती हैं। मैं सुबह पांच बजे उठकर पढ़ता था। देर रात तक पढ़ने की आदत नहीं थी, क्योंकि पढ़ाई के साथ पर्याप्त नींद बेहद जरुरी है। यह जरुरी है कि अच्छी याददाश्त के लिए आराम आवश्यक है और अच्छी नींद हमें स्वस्थ रखती है।’
दसवीं की बोर्ड परीक्षा में अनमोल हर्षाना ने बेहतरीन प्रदर्शन किया था। उन्होंने सभी विषय में ए-1 ग्रेड हासिल की थी। उन्होंने उस समय भी कहा था कि नियम से पढ़ाई करना सबसे बड़ा कारण होता है किसी भी परीक्षा को शानदार नतीजों से उत्तीर्ण करने के लिए।
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वे मुस्कराते हुए कहते हैं कि हर किसी को यह सोचना चाहिए कि वह किस विषय को पसंद करते हैं। पसंद उस हिसाब की होनी चाहिए जिसे वे कर सकते हैं। दूसरों के थोपे गये विषय आपको आगे बढ़ने से रोकते हैं। ऐसा हो सकता है कि आप कोई मुकाम हासिल कर लें, मगर आप खुद वह खुशी कभी हासिल नहीं कर सकते जो असल में आपको होनी चाहिए।
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अनमोल हर्षाना अपने पिता सतेन्द्र सिंह के साथ. |
अंग्रेज़ी : 97
गणित : 99
फिजिक्स : 95
केमिस्ट्री : 99
कंप्यूटर : 92
अंक प्रतिशत : 96.4%
अनमोल स्पष्ट करते हैं कि उन्हें एयरोस्पेस से लगाव है। वे अंतरिक्ष से बहुत प्रभावित होते हैं। वे वैज्ञानिक बनने का सपना संजोए हुए हैं। वे ऐसा कुछ करने का सोच रहे हैं जिससे स्पेस यात्रायें और उनसे जुड़ी सेवायें अधिक उन्नत हो सकें। ब्रह्मांड के रहस्यों को और करीब से जानने की उनकी चाह उन्हें विज्ञान से जोड़ती है। वे इसरो और नासा से संबंधित सामग्री को टेलीविजन पर देखते और किताबों में पढ़ते रहते हैं। जिज्ञासू प्रवृत्ति के अनमोल को लगता है कि वह देश के लिए नई तकनीकें ईजाद करना चाहते हैं जिससे अंतरिक्ष मिशन आदि पहले से और बेहतर हो सकें।
बेहद सरल स्वभाव के अनमोल हर्षाना मोबाइल और टीवी से पढ़ाई के दौरान दूरी बनाये रहे। उनका ध्यान अपने विषय की किताबों पर ही था। सबसे मजेदार यह है कि अभी तक उनके पास अपना मोबाइल फोन तक नहीं था, क्योंकि वे इतने व्यस्त थे कि उन्होंने उस ओर कोई गौर नहीं किया। किसी जानकारी पर अधिकार विस्तार से इंटरनेट पर खोज करना होता तो अपने परिजनों के मोबाइल फोन से काम चलाते। वे मुस्कान के साथ बताते हैं,‘अभी दो माह पहले ही मैंने अपना पहला फोन खरीदा है।’ फेसबुक, ट्विटर, वाट्सएप पर भी उनका कोई अकाउंट नहीं है, और आगे भी कोई ऐसी योजना नहीं।
-टाइम्स न्यूज़ गजरौला.