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भाजपा को यहां से ऐसा उम्मीदवार खड़ा करना होगा जिसकी पकड़ सभी वर्गों में हो. |
यहां के राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा आम है कि इस बार यहां से संसदीय चुनाव में कौन-कौन उम्मीदवार मैदान में होंगे तथा असली मुकाबला किस-किस में होगा? सपा-बसपा तथा रालोद के संभावित गठबंधन के समय से पूर्व सभी दलों के नेताओं के कान खड़े हो गए हैं। यदि यह गठजोड़ संसदीय चुनाव में बनता है तो यहां भाजपा से गठबंधन उम्मीदवार की सीधी टक्कर होगी। इन दोनों के अलावा जो भी उम्मीदवार मैदान में आएंगे तब उन्हें जमानत बचानी भी मुश्किल होगी।
इस संसदीय सीट पर मुस्लिम मतदाता सबसे अधिक हैं। जाटव, जाट तथा चौहान मतदाता तीन बड़े समुदाय भी यहां हैं। गत चुनाव में इन तीनों समुदायों ने भाजपा के पक्ष में मतदान किया था। सबसे बड़े वोट बैंक मुस्लिम सपा और बसपा में बंट गए थे। इन दो बड़े कारणों से भाजपा उम्मीदवार विजयी हुआ था। सपा उम्मीदवार कमाल अख्तर दूसरे स्थान पर थे।
जैसा वातावरण बना है उसके अनुसार दलितों का भाजपा से मोहभंग हो चुका। यह समुदाय खुलकर भाजपा की नीतियों की आलोचना कर रहा है। ढाई लाख से अधिक मतदाता इस समुदाय के हैं। यदि वे एकजुट होकर सपा और बसपा के संयुक्त उम्मीदवार को समर्थन देने लगे तो उसकी फतेह को कोई नहीं रोक सकता। इसी के साथ रालोद तथा कांग्रेस का समर्थन भी उसे कुछ ना कुछ बल प्रदान करेगा। ऐसे में भाजपा को यहां से ऐसा उम्मीदवार खड़ा करना होगा जिसकी पकड़ सभी वर्गों में हो।
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-टाइम्स न्यूज़ अमरोहा.