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'50-60 की आयु के बीच मरने वालों की संख्या औद्योगीकरण के बाद बढ़ी है जो चिंता का विषय है'. |
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विधायक के मुताबिक पचास-साठ की आयु के बीच मरने वालों की संख्या औद्योगीकरण के बाद बढ़ी है जो चिंता का विषय है। उन्होंने रोष जताया कि चन्द औद्योगिक घरानों की कमाई के लिए क्षेत्रीय जनता और पर्यावरण को दांव पर नहीं लगने दिया जाएगा। अपनी तिजोरी भरने के लिए मौत बेचने वाले नहीं सुधरे तो क्षेत्रीय जन-सहयोग से उन्हें सबक सिखाया जायेगा और आगामी सत्र में वे इस मामले को विधानसभा में जोरदार ढंग से उठायेंगे।
उल्लेखनीय है कि एनजीटी ने गत वर्ष यहां की जुबिलेंट लाइफ साइंसेज लि., टेवा एपीआई इंडिया प्रा. लि., कैबीनेट मंत्री चेतन चौहान की कोरल न्यूज़ प्रिंट, कामाक्षी पेपर्स लि., कौशाम्बी पेपर मिल समेत कई औद्योगिक इकाईयों को प्रदूषण वाहक पाया था। नोटिस के बाद जुर्माना लगाकर उन्हें फिर से क्लीन चिट दे दी। यह प्रति प्लांट दस लाख था।
यहां औद्योगिक प्रदूषण आज भी जारी है। यहां के हजारों लोग इसके गवाह हैं तथा आम जन-जीवन पर प्रदूषण का दुष्प्रभाव और भी ठोस प्रमाण है। लोगों का सवाल है कि क्या एनजीटी को मामूली जुर्माना अदा करने के बाद उद्योगों का प्रदूषण फैलाने का लाइसेंस मिल गया है!
-टाइम्स न्यूज़ गजरौला.