वरिष्ठ पत्रकार राजकिशोर नहीं रहे, एम्स में ली अंतिम सांस

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उन्होंने 80 के दशक में चर्चित साप्ताहिक पत्र ‘रविवार’ से पत्रकारिता की शुरुआत की थी.
सुप्रसिद्ध लेखक एवं वरिष्ठ पत्रकार राजकिशोर का 71 वर्ष की आयु में निधन हो गया। पिछले कुछ समय से उनका इलाज चल रहा था। फेफड़ों में संक्रमण के कारण उन्हें दिल्ली स्थित एम्स में भर्ती कराया गया था। उन्हें सांस लेने में दिक्कत आ रही थी। सोमवार को आईसीयू में थे। सुबह साढ़े दस बजे के करीब राजकिशोर ने अंतिम सांस ली। बताया जा रहा है कि पिछले दिनों उनके चालीस वर्षीय पत्रकार बेटे विवेक की ब्रेन हैम्रेज से मृत्यु हो गयी थी। उसके बाद से ही वे सदमे में चल रहे थे। परिवार में उनकी पत्नी और एक बेटी हैं।

राजकिशोर का जन्म 2 जनवरी 1947 को पश्चिम बंगाल के कोलकाता में हुआ था। उन्होंने 80 के दशक में चर्चित साप्ताहिक पत्र ‘रविवार’ से पत्रकारिता की शुरुआत की थी। बाद में उन्होंने ‘परिवर्तन’ पत्रिका में काम किया। नवभारत टाइम्स में सहायक संपादक के भी रहे। ‘दूसरा शनिवार’ का संपादन भी राजकिशोर ने किया। वाणी प्रकाशन ने 'आज के प्रश्न' नाम से एक शृंखला छापी थी जिसके संपादक राजकिशोर थे। साथ ही ‘समकालीन पत्रकारिता: मूल्यांकन और मुद्दे' का संपादन किया।

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अखबारों में स्तंभ लेखक के रुप में उनकी एक अलग पहचान रही। साहित्य से भी राजकिशोर जुड़े रहे। कई चर्चित किताबें लिखीं। 'धर्म', 'साम्प्रदायिकता और राजनीति', 'पत्रकारिता के परिप्रेक्ष्य', 'एक अहिंदू का घोषणापत्र', 'जाति कौन तोड़ेगा?', 'रोशनी इधर है', 'सोचो तो संभव है', 'गांधी मेरे भीतर', 'स्त्रीत्व का उत्सव' आदि पुस्तकें लोकप्रिय रहीं। उनके लिखे दो उपन्यास ‘सुनन्दा की डायरी’ और ‘दूसरा सुख’ प्रमुख हैं। 'राजा का बाजा' और 'अंधेरे में हंसी' उनके द्वारा लिखी व्यंग्य पुस्तकों में शुमार हैं।

राजकिशोर जी को हिन्दी साहित्य में उनके योगदान के लिए साहित्यकार सम्मान(हिन्दी अकादमी, दिल्ली), लोहिया पुरस्कार, राजेन्द्र माथुर पत्रकारिता पुरस्कार आदि से सम्मानित किया गया।

-टाइम्स न्यूज़ नई दिल्ली.

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