औद्योगिक प्रदूषण के चलते गजरौला कैसे बनेगा स्मार्ट सिटी?

गजरौला की सबसे बड़ी समस्यायें जल और वायु प्रदूषण हैं, जिसका कारण है यहां की रासायनिक फैक्ट्रियां.
देश के शहर कई बुनियादी जरुरतों के अभाव में रहने लायक नहीं रह  गए हैं। किसी शहर का कूड़ा आसपास फिंकवाकर या अतिक्रमण हटाकर उन्हें आदर्श अथवा स्मार्ट सिटी नहीं बनाया जा सकता। प्रदूषित जल और वायु प्रदूषण हमारी और हमारे शहरों की सबसे बड़ी समस्याये हैं।

गजरौला की सबसे बड़ी समस्यायें जल और वायु प्रदूषण हैं। जिसका कारण है यहां की रासायनिक फैक्ट्रियां। इन उद्योगों ने यहां भयंकर बीमारियों के साथ ही मानव, पशु तथा वनस्पति तक का अस्तित्व ही खतरे में डाल दिया है। रोजगार के बहाने जो कि स्थानीय लोगों के बजाय बाहरी लोगों को ही अधिक मिला है हम स्वयं तथा भावी पीढ़ियों को नरक की ओर धकेल रहे हैं।

यह अच्छी बात है कि चेयरमेन अंशु नागपाल शहर की स्वच्छता, सुन्दरता और खुली तथा सुविधाजनक सड़कों के लिए शानदार काम कर रही हैं तथा नगर को स्मार्ट बनाने का नारा देकर एक-एक कदम आगे बढ़ रही हैं लेकिन यहां का सबसे बड़ा संकट औद्योगिक प्रदूषण है जो खतरनाक स्तर तक पहुंच गया है। नगर वासियों को पीने का स्वच्छ पानी तक नहीं मिल रहा। आधी से अधिक आबादी यहां प्रदूषित जल पीने को मजबूर है।

pollution in gajraula city
सांस लेने को शुद्ध हवा के लिए पूरा शहर तरस गया है। औद्योगिक प्रदूषण ने नगर का वायुमंडल दमघोंटू बना दिया है। फेफड़ों, गुर्दों तथा हृदय और कैंसर के रोगियों की संख्या यहां तेजी से बढ़ रही है। हृदयाघात से यहां पिछले साल 50 से 60 वर्ष के कई लोगों की मौत हो गयी और सैकड़ों रोगियों का इलाज चल रहा है।

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नगर के सबसे पुराने चिकित्सक डा. श्याम सिंह का कहना है कि औद्योगिक प्रदूषण से कई बीमारियां बढ़ी हैं। उन्होंने अपने लम्बे चिकित्सीय जीवन में हृदय, नेत्र, फेफड़े, गुर्दे तथा कैंसर के इतने मरीज कभी नहीं देखे। नगर का जल और वायु वास्तव में भयंकर प्रदूषण के शिकार हैं। यही स्थिति रही तो नगर रहने लायक नहीं रहेगा।

गजरौला को स्मार्ट सिटी में बदलने के लिए प्रदूषण मुक्त शहर बनाना जरुरी है। क्या यह संभव हो पायेगा?

-टाइम्स न्यूज़ गजरौला.