मुख्य मार्ग की बदहाली सादपुर के लोगों का सरदर्द, जिला पंचायत अध्यक्ष के आश्वासन से समस्या हल होने की उम्मीद

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कीचड़ और गंदे पानी से भरे ऊबड़-खाबड़ रास्ते से लोगों को गुजरना पड़ रहा है.
ग्राम सभा छीतरा से जुड़ा गांव सादपुर तमाम सरकारी विकास योजनाओं से अछूता रहा है। गांव के बीच से पश्चिम से पूर्व तक जाने वाला रास्ता बरसात में गांव वालों के लिए एक बड़ी मुसीबत बन गया है। यह रास्ता इतना महत्वपूर्ण है कि गांव से खेत तक जाने के लिए सभी को यहां से होकर गुजरना पड़ता है। बल्कि बछरायूं, मंडी धनौरा अथवा गजरौला जाने के लिए भी इससे होकर गुजरने के अलावा कोई चारा नहीं। प्रतिदिन स्कूल जाने वाले बच्चों को इसी कीचड़ और गंदे पानी से भरे ऊबड़-खाबड़ रास्ते से गुजरना पड़ता है। गांव में स्कूल न होने से सभी बच्चे गांव से बाहर पढ़ने जाने को मजबूर हैं।

सादपुर से पश्चिम की ओर एक रास्ता एक किलोमीटर दूर गजरौला-सरकड़ा मार्ग पर ग्राम छीतरा और सादपुर के खेतों के पास जाकर मिलता है। गांव के पूर्वी छोर से गन्दासपुर को होकर एक रास्ता चौकपुरी पार करता हुआ ढाई किलोमीटर दूर खादगूजर के पास गजरौला-मूंढा सड़क मार्ग तक जाता है। गांव के पूर्वी छोर से ग्राम लम्बिया को भी सड़क मार्ग जोड़ता है।

गांव की सीमा के अन्दर पूरब से पश्चिम तक का जो मुख्य मार्ग है वह कभी सड़क था, जिसके टूटे-फूटे अवशेष गड्ढों में तब्दील हो गए। यह पूरा रास्ता गन्दे पानी, कीचड़ से भरा है। घरों के पास कई जगह पानी जमा है। जहां मच्छर और मक्खियों की भरमार है।

रवीन्द्र सिंह के घर से लेकर काले सिंह के घर तक तथा उनसे पूरब तक बहुत बुरा हाल है। बुग्गी आदि पर बैठकर आप कीचड़-पानी से बच सकते हैं। पैदल निकलने का साहस करने वाला होली के हुड़दंग के शिकार किसी भले आदमी से भी दयनीय हाल में होगा। ऐसे में उसे आवारा कुत्तों से जान बचाने के लाले भी पड़ जाएंगे।

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सरकड़ा, कटपुरा, लम्बिया, नगला माफी, नगलिया, खादगूजर, चौकपुरी, ढकिया भूड़ आदि गांवों के लोगों को कई बार इस गांव के बीच से गुजरना पड़ जाता है। तो वे भी इस स्थिति से दो-चार होते हैं। ऐसे में सादपुर का बदहाल मार्ग गांव से बाहर के  लोगों की भी  मुसीबत बना है। लोग चक्कर काटकर इस गांव से बचकर निकलने को मजबूर हैं।

बीते चुनाव पूर्व हुए परिसीमन में पहली बार सादपुर को छीतरा ग्राम सभा में, यहां से 2 किलोमीटर दूर संलग्न किया गया है। प्रधान भी वहीं का है। उससे पूर्व तक सादपुर सरकड़ा कलां ग्राम सभा से जुड़ा था, वह भी यहां से 2 किलोमीटर दूर ही पड़ता है।
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ऐसा नहीं कि सादपुर को हर बार उससे जुड़ी ग्राम सभा का ही प्रधान मिला हो। कई बार यहां के व्यक्ति भी प्रधान चुने गए हैं। जिनमें स्व. परम सिंह तथा उनके बेटे स्व. जयवीर सिंह प्रधान रह चुके हैं। ये दोनों कई-कई बार प्रधान रहे हैं।

इनके कार्यकाल में सादपुर के रास्ते कच्चे से पक्के बनाए गए। यह विशेषता थी कि गांव में रास्तों में कीचड़, गड्ढे या जलभराव नहीं हुआ। उनके कार्यकाल के बाद ही गांव के रास्तों का बुरा हाल हुआ जिसमें इस बरसात जैसी दुर्दशा कभी नहीं हुई।

परम सिंह तथा जयवीर सिंह ईमानदार पारिवारिक पृष्ठभूमि से थे। लोग उनपर भरोसा करते थे और उनका कहा मानते थे। यही कारण था कि गांव वाले उनके नेतृत्व में एकजुट थे।

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सरिता चौधरी ने दस लाख का वादा किया

मौजूदा प्रधान योगिन्दर सिंह नवयुवक हैं। उनके दादा यादराम सिंह कई बार प्रधान रह चुके। उनके निधन के तीन दशक बाद योगिन्दर प्रधान बने हैं। उनका कहना है कि जैसे ही पैसा आयेगा काम होगा। वैसे जिला पंचायत अध्यक्ष सरिता चौधरी ने जिन 22 ग्राम प्रधानों के गांवों में विकास के लिए दस-दस लाख रुपए देने का हाल ही में आश्वासन दिया है, उनमें ग्राम छीतरा और उससे जुड़े सादपुर का नाम भी है।

यह बरसात तो लोगों को इसी तरह झेलनी होगी लेकिन उसके बाद यह पैसा मिला तब काम बन सकता है। उसमें भी यह छीतरा के प्रधान की मंशा पर निर्भर करेगा कि वह सादपुर के लिए भी उसमें से कुछ खर्च करना चाहेंगे।

ग्रामवासी मेहर सिंह, शेखर सिद्धू, काले सिंह, रवीन्दर सिंह, समरपाल, राजेन्द्र सिंह आदि का कहना है कि गांव का रास्ता जितना जल्दी हो सके ठीक किया जाना चाहिए।

-टाइम्स न्यूज़ गजरौला.