सोलर पम्प लगवाने में किसानों की रुचि नहीं

solar pump amroha
अनुदान उपलब्ध कराने के बावजूद सोलर पम्प लगाने को किसान क्यों तैयार नहीं?
सरकार किसानों को बिजली बिल भुगतान से मुक्ति दिलाने के लिए सोलर पम्प लगाने की योजना शुरु कर चुकी लेकिन भाजपा सरकार की दूसरी योजनाओं की तरह इस योजना का भी किसानों को कोई लाभ नहीं दिखता। ऐसे में किसान इसमें रुचि नहीं ले रहे। हालांकि एक पम्प के लिए सरकार 1.90 लाख रुपए का अनुदान दे रही है। किसान को अपनी जेब से केवल 80 हजार जमा कर  2.70 लाख रुपये का पम्प उपलब्ध हो जायेगा।

जिले में चालू वित्त वर्ष में 200 पम्प का लक्ष्य रखा गया था। वित्त वर्ष खत्म होने में तीन माह शेष हैं जबकि केवल 125 किसानों ने यह पम्प हासिल किए हैं। जिला प्रशासन  किसानों से पम्प लगवाने की मांग कर रहा है लेकिन किसान फार्म भरने को तैयार नहीं।

उल्लेखनीय है कि सरकार कृषि सिंचाई योजना में अक्षय ऊर्जा के सहारे सोलर पम्प किसानों को उपलब्ध कराना चाहती है। इसके लिए तीन हार्स पावर के ये पम्प दिए जा रहे हैं। इन पम्पों को देने से पहले न तो कृषि विभाग ने अध्ययन किया और न ही सरकार में उच्च पदों पर बैठे लोगों ने अधिक ध्यान दिया। बिना सोचे समझे चलायी जा रही यह योजना लक्ष्य से भटक रही है।

किसान सोलर पम्प क्यों नहीं लगवा रहे?

सरकार द्वारा दो तिहाई अनुदान उपलब्ध कराने के बावजूद सोलर पम्प लगाने को किसान क्यों तैयार नहीं? इसके कई कारण हैं। सबसे बड़ा कारण तो यही है कि एक एकड़ जैसी छोटी जोत वाले किसान को भी कम से कम पांच किलोवाट क्षमता का पम्प चाहिए। यह पम्प मात्र तीन किलोवाट का है। इससे एक-दो बीघा भूमि की सिंचाई की जा सकती है। इतनी सिंचाई के लिए किसान को पहले एक लाख रुपये का बोरिंग कराना होगा और अस्सी हजार का सोलर पम्प खरीदने को खर्च करना होगा। इसमें भी 1.90 लाख सरकार का भी खर्च होगा। दो बीघा जमीन की सिंचाई के लिए चार लाख के आसपास वही खर्च कर सकता है जिसके पास आय का गैर कृषि कमाई का कोई अन्य स्रोत हो।

वैसे भी इतने महंगे सौर पैनल खेतों पर लगाने के लिए सुरक्षित नहीं। आजकल खेतों में हल, फावड़ा तथा मोटर तक सुरक्षित नहीं। उन्हें सुरक्षित करने के लिए लाखों खर्च करने होंगे।

जिन किसानों ने 125 सोलर पम्प लिए हैं। उन्होंने उन्हें अतिरिक्त साधन के लिए लगवाया होगा तथा वे गांवों से सटे खेतों के लिए लगवाये गये होंगे। सरकार जिस उद्देश्य से यह योजना लायी है वह पूरा नहीं होगा। हां उज्जवला या सौभाग्य योजना की तरह भाषणों में चुनाव प्रचार में इसे इस्तेमाल किया जा सकता है।

~टाइम्स न्यूज़ अमरोहा.