यादव सिंह के हमदर्द जनता के दरबार में

yadav singh
यादव सिंह भ्रष्टाचार के बल पर मायावती और अखिलेश यादव का चहेता बना रहा है.
उत्तर प्रदेश की 80 लोक सभा सीटों के लिए जो मारामारी नेताओं में मचनी शुरु हुई है उसमें हर नेता स्वयं को ईमानदार तथा जनसेवक कहते नहीं थक रहा जबकि दूसरों को बदनाम करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहा। पूरा देश जानता है कि यादव सिंह नामक एक जूनियर इंजीनियर को भ्रष्टाचार के तमाम रिकार्ड ध्वस्त करने के बावजूद चीफ इंजीनियर तो बनाया ही गया बल्कि उसे एक साथ दो-दो बड़े दायित्व सौंपे गये जहां उसने नियम-कानून हाथों में लेकर भ्रष्टाचार के कीर्तिमान स्थापित किए। यह और भी मजेदार बात रही कि बसपा और सपा दोनों ही सरकारों में यह इंजीनियर भ्रष्टाचार के बल पर क्रमशः मायावती और अखिलेश यादव का चहेता बना रहा है। इन दोनों जन सेवकों और मुख्यमंत्रियों नेे भ्रष्टाचार का खुला खेल खेलने दिया, बल्कि वरिष्ठों को दरकिनार कर प्रोन्नति प्रदान की।

यदि ईमानदारी से इन दोनों नेताओं के कार्यकाल के कार्यकलापों की छानबीन की जाए तो उत्तर प्रदेश में अनेक यादव सिंह प्रकाश में आयेंगे। अखिलेश यादव ने तो अपने मुख्यमंत्रित्व काल में चालीस से अधिक विभाग अपने पास रखे हुए थे। बचे हुए आजम खां को दे दिए थे बाकी मंत्री तो केवल नाम मात्र के थे। सैफई महोत्सव के नाम पर सूबे की जनता की कमाई किस तरह बरबाद की गयी, सब को पता है।

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जनता सब जानती है पिछले चुनावों में उसने दोनों को अच्छा सबक सिखाया तो अब एक साथ आ गए हैं ताकि यादव सिंह जैसों को और बेहतर ढंग से सेफ जोन प्रदान की जा सके। परेशान जनता भाजपा को लायी लेकिन उसने एक ऐसे सन्यासी को बागडोर सौंप दी, जिसने आते ही अपने ऊपर लदे मुकदमे खत्म कराये और दूसरों को बदनाम करने का काम शुरु कर दिया। बेरोजगारी, भ्रष्टाचार तथा बीमार कृषि व्यवस्था जैसी समस्याओं के निदान को छोड़ आत्म प्रचार का काम शुरु कर दिया। लोकसभा की आहट में सभी दलों के नेता एक बार फिर से जनसेवा, देशभक्ति, ईमानदारी और भ्रष्टाचार विरोधी राग अलापकर लोगों को भरमाने में जुट गए हैं। उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक सीटें होने से यहां मारामारी अधिक रहेगी। जनता भी काफी समझदार हो गयी है। ठोक-बजाकर फैसला देगी।

~जी. एस. चाहल.