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तरारा बराबर इस दिशा में भागदौड़ और कार्रवाई में कोई कमी नहीं छोड़ रहे. |
पुल निर्माण का वायदा और घोषणाएं लंबे समय से की जाती रही हैं। लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी पुल निर्माण का वायदा कर गये थे। पूर्व सांसद कंवर सिंह तंवर ने तो चुनाव प्रचार के दौरान 2013 में खादर के लोगों को आश्वासन दिया था कि उन्हें सांसद बनवाओ तो वे अपने पैसे से ही पुल बनवा देंगे। लोगों ने 2014 में उन्हें सांसद बनाया। वे पांच साल तक इस ओर झांकने तक नहीं आए। न उन्होंने पुल बनवाया और न सरकार से बनवा सके, नाराज लोगों ने इस चुनाव में बदला ले लिया, तंवर पूर्व सांसद बना दिए।
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जब से राजीव तरारा विधायक बने हैं, वे बराबर इस दिशा में भागदौड़ और कार्रवाई में कोई कमी नहीं छोड़ रहे। पुल निर्माण में सबसे बड़ी अड़चन वन विभाग और पर्यावरण विभाग हैं। इस पुल निर्माण से दोनों विभागों को आपत्ति का कोई कारण नहीं होना चाहिए क्योंकि पुल निर्माण से न तो कोई वृक्ष कटेगा और न ही पर्यावरण को कोई क्षति होगी। वर्षों की कोशिश के बावजूद अधिकारी एनओसी देने को तैयार नहीं।
यह और भी मजेदार बात है कि डीएम से लेकर लखनऊ में बैठे आला अधिकारी तक सब कुछ जानते हैं। उप मुख्यमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक को बताया जा चुका। उसके बावजूद दो वर्षों तक इस काम की स्वीकृति तक न होना किस ओर इंगित करता है?
-टाइम्स न्यूज़ गजरौला.