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बाढ़ से बचाव के लिए गांव वालों द्वारा स्वनिर्मित कच्चा बांध टूटने की कगार पर है. |
एक गांव में बाढ़ से बचाव के लिए गांव वालों द्वारा स्वनिर्मित कच्चा बांध टूटने की कगार पर है। चकनवाला गांव के पास रामगंगा पोषक नहर का अस्थायी पीपा पुल प्रति वर्ष की तरह पहली बरसात में ही तोड़ दिया गया है। इससे एक दर्जन गांवों का संपर्क शेष क्षेत्र से पूरी बरसात कटा रहेगा। यहां आने जाने को केवल नाव का सहारा ही है।


सीसोवाली, मंदिरोंवाली, टीकोवाली, जाटोवाली आदि दर्जनभर गांव प्रतिवर्ष बरसात में पानी से घिर जाते हैं। इन गांवों के लोग दशकों से एक पुल की मांग कर रहे हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। मौजूदा भाजपा विधायक राजीव तरारा भी दो वर्षों से इसके लिए कोशिश कर रहे हैं लेकिन बात सिरे नहीं चढ़ पा रही।
इन गांवों में चिकित्सक, स्कूल तथा दवाईयां आदि तक की व्यवस्था नहीं। बरसात के मौसम में ऐसे में इन गांवों की आबादी पर क्या बीतती होगी? उसे भुक्तभोगी ही बेहतर जानते हैं।
पुल निर्माण में वन विभाग की एनओसी न मिलना बड़ी अड़चन बतायी जा रही है। जबकि इस प्रतिबंधित वन्यजीव क्षेत्र में अवैध भट्टे तथा कई उद्योग धड़ल्ले से चल रहे हैं। बाढ़ के दौरान गांवों में खतरनाक जंगली जानवरों से बराबर खतरा बना रहता है।
-टाइम्स न्यूज़ गजरौला.