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तिगरी तथा ब्रजघाट गंगा तट पर स्थित तीर्थ हैं जहां प्रतिवर्ष मिनी कुंभ जैसा नजारा कार्तिक स्नान के मौके पर दिखाई पड़ता है. |
उत्तर प्रदेश से पहाड़ी क्षेत्र उत्तराखंड के रुप में अलग राज्य बनने के बाद यहां पर्यटन क्षेत्रों का अकाल सा पड़ गया। सरकार चाहती तो कई क्षेत्रों में विकास कर उन्हें बेहतर पर्यटक स्थल बनाया जा सकता था। ब्रजघाट-तिगरी और गजरौला में इस तरह की प्राकृतिक स्थिति है जिसे विकसित कर सुरम्य और लोकप्रिय पर्यटक तीर्थक्षेत्र का रुप दिया जा सकता है।
तिगरी तथा ब्रजघाट गंगा तट पर स्थित तीर्थ हैं जहां प्रतिवर्ष मिनी कुंभ जैसा नजारा कार्तिक स्नान के मौके पर दिखाई पड़ता है। दोनों स्थान एक-दूसरे से मात्र 5 किलोमीटर दूर हैं। यहां प्रत्येक पूर्णिमा और अमावस्या के साथ ही सभी त्योहारों पर लोग गंगा स्नान के साथ कई धार्मिक कर्मकाण्ड निभाते आते हैं। अत्येष्टि कर्म के लिए यहां शव लाने की आम परंपरा है।
कई बार यहां हरिद्वार की तर्ज पर गंगा पर तिगरी से गढ़ तक पुल निर्माण के साथ यहां सौन्दर्यीयकरण कर शानदार पर्यटन स्थल के विकास की बातें जोर-शोर से की गयी हैं। भाजपा सरकार ने 2014 में केन्द्र में सत्ता संभालने के बाद तीस हजार करोड़ रुपए यहां के विकास का वादा भी किया था। बल्कि काम शुरु करने की बातें भी हो रही थीं लेकिन धीरे-धीरे बातें आयी गयी हो गयीं।
अमित शाह ने प्रदेश को पर्यटन में देश में पहले नंबर पर लाने की बात की है। उसमें बनारस और प्रयाग का जिक्र है लेकिन तिगरी-ब्रजघाट के गंगा क्षेत्र की बात नहीं है। इस महत्वपूर्ण क्षेत्र के विकास के लिए हमारे जनप्रतिनिधियों को सरकार से बात करनी चाहिए। गजरौला तिगरी-ब्रजघाट का तिकोना क्षेत्र बेहतर पर्यटन क्षेत्र की संभावनायें समेटे है।
-टाइम्स न्यूज़ गजरौला.