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अप्रैल में मिलों को बेचे गन्ने का भुगतान किसानों को दो सप्ताह की जगह चौदह सप्ताह में भी नहीं मिल सका.
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सरकार चुनाव जीतने के बाद किसानों को फिर भूल गयी है। मीडिया में उद्योगों को पैकेज देने की खबरें फिर चल रही हैं। किसानों का गन्ना भुगतान अटक गया है। चुनाव पूर्व छोटे किसानों को दो हजार की तीन किश्तों में साल भर में छह हजार रुपये देने की घोषणा भी धराशायी हो चुकी है। चन्द किसानों को दो-दो हजार रुपये देकर केन्द्र सरकार ने सभी छोटे किसानों को इसका लाभ प्रदान नहीं किया। दो हैक्टेअर तक की जोत वाले किसानों को सरकार ने यह राशि देने का एलान किया था। जबकि एक हैक्टेअर तथा उससे कम जोत वाले ऐसे बहुत से किसान हैं जिन्हें अभी तक पहली किश्त के भी पैसे नहीं मिले। जबकि दो किश्तों का भुगतान हो जाना चाहिए था। लोकसभा चुनाव से पहले हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में हार से भयभीत भाजपा ने किसानों को लुभाने वाली इस योजना की घोषणा से किसानों के वोट हासिल कर सत्ता हासिल कर ली लेकिन सत्ता मिलते ही सरकार किसानों को भूल गयी। दूसरी ओर उत्तर प्रदेश में दो सप्ताह में गन्ना भुगतान कराने का वादा करने वाले योगी आदित्यनाथ भी किसानों से किया वादा पूरा नहीं कर सके।

अप्रैल में मिलों को बेचे गन्ने का भुगतान किसानों को दो सप्ताह की जगह चौदह सप्ताह में भी नहीं मिल सका। टीवी चैनलों पर अपने प्रचार में वे लगातार सरकारी कोष को खर्च कर रहे हैं। किसानों के खरीदे गन्ने का पैसा देने और दिलाने में उन्हें कोई रुचि नहीं। वे चाहते तो सरकारी और सहकारी चीनी मिलों का भुगतान समय से करा सकते थे, लेकिन उन्हें किसानों के बजाय मिलवालों से प्रेम है।
किसान भुगतान के लिए आएदिन धरने तथा प्रदर्शन कर रहे हैं। अधिकारियों को ज्ञापन दे रहे हैं। फिर भी कोई सुनवाई नहीं। कहा जा रहा है कि 31 अगस्त तक भुगतान करायेंगे। उधर गन्ना सीजन शुरु होने वाला है। पिछला बकाया नहीं मिला अगला भी चढ़ना शुरु हो जायेगा।
-टाइम्स न्यूज़.