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लोग बुखार और कई संक्रामक रोगों की चपेट में हैं. पर्याप्त दवायें भी उपलब्ध नहीं हैं. |
हमने कुछ समय पहले सलेमपुर गोसाईं के बिना डॉक्टर के अस्पताल पर विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की थी। यहां एक फार्मेसिस्ट के सहारे काम चलाया जा रहा है। जबकि ब्लॉक का सबसे बड़ी आबादी का यह गांव बुखार और कई संक्रामक रोगों की चपेट में है। पर्याप्त दवायें भी यहां उपलब्ध नहीं हैं। परेशान लोग गांव के अप्रशिक्षित चिकित्सकों से इलाज कराने को मजबूर हैं।जरूर पढ़ें : कई बीमारियों का शिकार सलेमपुर का स्वास्थ्य केन्द्र

यही नहीं शहरों से दूर बसे दूसरे गांवों में तो झोलाछाप चिकित्सकों के अलावा कोई विकल्प ही नहीं। उनके यहां मरीजों की भीड़ है। कई दिनों तक ठीक नहीं होने वाले अथवा गंभीर हालत होने पर मरीज शहरों की ओर दौड़ लगाते हैं। वहां भी अनजाने में अधिकांश मरीज झोलाछापों के चंगुल में फंस जाते हैं। बुखार से हो रही मौतों का यह बड़ा कारण है।
गजरौला के तिगरी, नगलिया मेव, टोकरा पट्टी, चकनवाला आदि खादर क्षेत्र के अधिकांश गांवों में भी बुखार का प्रकोप है। इन गांवों में स्वास्थ्य विभाग के भ्रष्ट अफसरों की कृपा पर झोलाछाप डॉक्टरों का कारोबार खूब फल-फूल रहा है।
अमरोहा के जिला अस्पताल और जनपद के तमाम सीएचसी और पीएचसी में चिकित्सकों तथा दवाईयों की कमी का रोना तामीरदार रोते देखे जा सकते हैं। सेहत महकमा स्वयं ही लाइलाज बीमारियों की चपेट में है।
-टाइम्स न्यूज़ अमरोहा.