जोगिन्दर सिंह जैसे शिक्षकों से सीखें शिक्षक

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प्रयास किया जाएँ तो दूसरे बहुत से शिक्षक भी बेहतर काम करना शुरु कर सकते हैं.
सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद उत्तर प्रदेश के सरकारी प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों में शिक्षण संतोषजनक नहीं है। ऐसे में आम आदमी भी इन स्कूलों में अपने बच्चे नहीं भेजना चाहता। भ्रष्ट नौकरशाही सब कुछ जानते हुए भी इन स्कूलों में सुधार नहीं करना चाहती। एबीएसए से लेकर लखनऊ तक बैठे शिक्षा अधिकारी मोटे वेतन और तमाम सुविधायें अर्जित करने के बावजूद सुधार नहीं कर पा रहे। जबकि कई स्कूलों में कई शिक्षकों ने अपनी सूझबूझ और परिश्रम के बल पर निजि स्कूलों से भी बेहतर शिक्षण व्यवस्था कायम कर शानदार उदाहरण प्रस्तुत किया है।

अमरोहा जिले के गजरौला विकास क्षेत्र के तिगरी स्थित प्राथमिक विद्यालय की कायापलट कर वहां के प्रधान शिक्षक जोगिन्दर सिंह ने बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य तथा ज्ञानवर्द्धन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। जिससे स्कूल में बच्चों की संख्या लगातार बढ़ रही है। यहां बच्चों की उपस्थिति भी दूसरे स्कूलों से बहुत बेहतर यानी प्रायः शतप्रतिशत रहती है। 
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जोगिन्दर सिंह को इस सबके लिए किसी अधिकारी अथवा दबाव की जरुरत नहीं पड़ी बल्कि उनका मानना है कि जिस कार्य के लिए उन्हें उचित वेतन मिल रहा है, उसे बेहतर से बेहतर ढंग से पूरा करना उनका कर्तव्य है। अपने छात्रों को वे अधिक से अधिक दक्ष बनाना चाहते हैं तथा वांछित सफलता पर वे संतुष्टि एवं हार्दिक खुशी अनुभव करते हैं। वे चाहते हैं उनके स्कूल में पढ़ने वाला हर बच्चा शिक्षा, व्यवहार, राष्ट्रभक्ति, अपने दायित्व और समाज सेवा को हृदय में आत्मसात कर यहां से निकले।

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जोगिन्दर सिंह जैसे भले ही प्रदेश में गिने-चुने शिक्षक होंगे लेकिन यह दुखद है कि शिक्षा विभाग के अधिकारी दूसरे सभी शिक्षकों को जोगिन्दर सिंह जैसे शिक्षकों से प्रेरणा लेने को तैयार नहीं कर पाते? दरअसल अधिकांश अधिकारी भी अपने दायित्वों के बजाय अधिकारों के प्रति ही गंभीर हैं। प्रयास किया जायें तो दूसरे बहुत से शिक्षक भी बेहतर काम करना शुरु कर सकते हैं। प्राथमिक शिक्षा का यह हाल है कि खाना, वर्दी तथा मुफ्त फीस के बावजूद गरीब लोग भी इन स्कूलों में बच्चों को भेजना पसंद नहीं कर रहे।

~जी.एस. चाहल.

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