
जनपद के हजारों किसानों को किसान सम्मान निधि की राशि की पहली किश्त भी नहीं मिल पायी। ये ऐसे किसान हैं जिनके पास एक हैक्टेअर के आसपास भूमि है। बहुतों के पास एक एकड़ या उससे भी कम भूमि है। बीते लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा ने किसानों को छह हजार रुपये तीन किश्तों में प्रतिवर्ष देने का ऐलान किया था। बहुत से किसानों को मतदान से पूर्व ही दो-दो हजार रुपये मिल भी गये थे। किसानों ने खुश होकर भाजपा को फिर से विजयी बनाया लेकिन सरकार ने किसानों से किया वायदा पूरा नहीं किया। प्रदेश का हिसाब लंबा है, अकेले अमरोहा जनपद में ही हजारों किसानों को इस योजना का कोई लाभ नहीं मिला। इनमें लगभग सभी ऐसे किसान हैं जो लघु एवं सीमांत किसान की सीमा में आते हैं।
ऐसे किसानों का कहना है कि वे अपनी फर्द और आधार कार्ड की प्रतियां भी दे चुके। ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन और सरकार द्वारा किए शिकायती फोन नंबरों पर भी मांगा ब्यौरा दे चुके लेकिन कुछ नहीं हुआ। कई किसान संगठन तमाम किसानों को सम्मान निधि दिलाने की सरकार से मांग करते आ रहे हैं तथा उसकी राशि भी बढ़ाने की मांग भी करते रहे हैं। फिर भी छोटे किसानों तक यह सहायता नहीं भेजी गयी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तक सार्वजनिक भाषणों में बार-बार प्रचार कर रहे हैं कि उन्होंने किसानों के खातों में सम्मान निधि के तहत छह-छह हजार रुपए भिजवाये हैं। यही नहीं राज्य सरकार के करोड़ों के विज्ञापनों में बार-बार इस बात का जिक्र किया जा रहा है। आत्म प्रचार में खर्च धन से किसानों को हकीकत में उनका हक दिलाया जाता तो उससे किसानों का भी भला होता और सरकार झूठ बोलने के अपराध से भी बची रहती। लॉकडाउन का कुप्रभाव छोटे किसानों पर अधिक हुआ है। भाकियू सहित कई संगठन उनकी कर्ज माफी की जरुरत पर बल दे रहे हैं। सरकार को शीघ्र इस पर भी ध्यान देना चाहिए।
-जी.एस. चाहल.