
गजरौला के औद्योगिक क्षेत्र के रखरखाव को यूपीएसआइडीसी से नगर पालिका परिषद को हस्तांतरित किए जाने से नगर के प्रबुद्ध तथा प्रतिष्ठित नागरिक खुश हैं। वे उद्योगों पर लगाये जाने वाले संपत्ति कर आदि की पूरी जानकारी चाहते हैं। साथ ही पालिका के विकास कार्यों के लिए भी उसमें से उचित अंश के व्यय की मांग करते हैं। फिलहाल औद्योगिक क्षेत्र में साठ फीसदी खर्च किया जाना है। पालिका को केवल चालीस फीसदी राशि मिलेगी।
नगर के जानेमाने समाजसेवी सोमवीर सिंह जिन्हें गुरुजी के नाम से जाना जाता है, इस निर्णय से खुश हैं। उनका मानना है कि इससे जहां पालिका की आय बढ़ेगी वहीं औद्योगिक क्षेत्र की बदहाल सड़कों आदि का भी उद्धार होगा। उनकी राय है कि प्राप्त कर की राशि में पालिका का हिस्सा बढ़ाया जाना चाहिए।
नामचीन ट्रांस्पोर्टर तथा होटल व्यवसायी भगवान सिंह काले ने भी पालिका को औद्योगिक क्षेत्र में संपत्ति कर लगाने को अधिकृत किए जाने पर प्रसन्नता जाहिर की है। उनका मानना है कि स्थानीय निकाय ही अपने क्षेत्र में बेहतर काम कर सकते हैं। इससे औद्योगिक क्षेत्र की बदहाल सड़कों को बेहतर किया जायेगा। जिससे यहां माल ढोने वाले वाहनों में क्षति कम होगी। उधर पालिका को भी विकास के लिए अधिक पैसा प्राप्त हो जाएगा।
शिक्षा तथा सामाजिक चिंतन के प्रति जागरुक महिला मीनाक्षी चौधरी का कहना है कि नगर के लिए पहली खुशखबरी यह थी कि पहली बार एक महिला को जनता ने रिकॉर्ड बहुमत से नगर प्रमुख चुना। दूसरी अच्छी खबर यह है कि नगर की वायु, जल तथा वृक्षों को प्रदूषित करने वाली इकाईयों से स्थानीय स्तर पर कर वसूला जायेगा। मीनाक्षी चौधरी का कहना है कि प्राप्त कर में अधिकांश नगर में जनसुविधाओं पर खर्च हो तो बेहतर होगा।

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युवा कारोबारी तथा सामाजिक मुद्दों के प्रति अतिजागरुक नवीन कुमार गर्ग ने उद्योगों पर संपत्ति कर लगाने की खबर को गंभीरता से लेते हुए इसे शुभ संदेश की संज्ञा दी। उन्होंने कहा कि केवल संपत्ति कर से ही काम नहीं चलने वाला। इससे भी आगे की सोचने की जरुरत है। प्रदूषण वाहक उद्योगों पर प्रदूषण क्षतिपूर्ति कर भी स्थानीय स्तर पर लगे तो बेहतर होगा। उसे प्रदूषण की मार झेल रहे नगरवासियों के स्वास्थ्य की सुरक्षा पर खर्च किया जाना चाहिए। उन्होंने इसके लिए शासन का आभार जताया।
गुरुद्वारा चौपला के प्रधान तथा कांट्रेक्टर स. अमरजीत सिंह भी इस निर्णय से प्रसन्न हैं। उनका कहना है कि वे नगर की जनता और औद्योगिक इकाईयों से समान नाता रखते हैं। ऐसे में उन्हें इससे खुशी ही है कि उद्योगों की कमाई का एक भाग औद्योगिक क्षेत्र के साथ नगर क्षेत्र के विकास में खर्च किए जाने की योजना बन गई है। वे स्वागत करते हैं।
नगर के सबसे पुराने चिकित्सक डॉ. श्याम सिंह चाहल ने इस निर्णय पर प्रतिक्रिया दी कि भले ही देर हुई लेकिन यह निर्णय एक सुखद पहल है। वे चाहते हैं कि मात्र संपत्ति कर से बात नहीं बनेगी, इसी के साथ स्थानीय जनता, पशु-पक्षी, जल-वायु और वनस्पति पर प्रदूषण का जो दुष्प्रभाव है उसकी क्षतिपूर्ति के लिए भी कुछ किया जाना चाहिए। फिलहाल जो हुआ है, वह बेहतर शुरुआत है। उन्हें उम्मीद है, आगे और भी कुछ होगा।
बड़े व्यापारी नेता तथा प्रतिष्ठित व्यवसायी अरविन्द अग्रवाल का कहना है कि यह नगरवासियों की चिरकालीन अभिलाषा पूरी हुई है। इसे कार्यरुप प्रदान करने वालों का वे आभार व्यक्त करते हैं। वे चाहेंगे कि कर के रुप में प्राप्त राशि को केवल औद्योगिक क्षेत्र में ही खर्च न किया जाए बल्कि नगर के बाकी हिस्से में भी उसे लगाया जाये। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि वर्तमान पालिका बोर्ड के कार्यकाल में नगर ने कई ऐतिहासिक बुलंदियों को छुआ है। शासन के इस फैसले से एक और उपलब्धि हासिल हुई है। वे इस कार्ययोजना को फलीभूत कराने वाले महानुभावों का आभार व्यक्त करते हैं।

भाजपा नेता रामकृष्ण चौहान ने कहा है कि शासन ने गजरौलावासियों के हित में यह कदम उठाया है। इसे पूरा कराने में कैबिनेट मंत्री चेतन चौहान की विशेष भूमिका है। नगर की जनता की ओर से वे उनका आभार व्यक्त करते हैं। उन्होंने राय दी है कि स्थानीय जनता दशकों से प्रदूषण की मार झेल रही है। उद्योगों पर कई तरह के भारी भरकम टैक्स लगे हैं। प्रदूषण के खिलाफ एनजीटी भी भारी जुर्माना वसूलती है। उद्योगपति उपभोक्ताओं से यह सब वसूल लेते हैं। ऐसे में स्थानीय जनता के लिए उद्योगों पर केवल संपत्ति कर से काम नहीं चलने वाला। उसका विस्तार जरुरी है तथा साठ-चालीस का अनुपात न्यायसंगत नहीं।
कवि हृदय ठेकेदार अमर सिंह मानते हैं कि औद्योगिक क्षेत्र जब नगर पालिका क्षेत्र में आता है तो उसे बहुत पहले उसके अधीन किया जाना चाहिए था। जो कर लेगा, विकास का दायित्व भी उसी का होता है। बड़ा सवाल यही है कि कर कितना होना चाहिए और उसका कितना हिस्सा औद्योगिक क्षेत्र तथा कितना बाकी नगर क्षेत्र में खर्च होगा। इस समय जो कमेटी बनायी जायेगी, उसमें डीएम, एसडीएम, तथा इ.ओ. तीन प्रमुख अधिकारी शामिल हैं। वे स्वतः निर्धारण करने में सक्षम हैं। औद्योगिक इकाईयों के प्रतिनिधि को भी समिति में रखा जा रहा है। इसमें यदि पालिका अध्यक्ष और सभासदों को भी लिया जाये तो बेहतर होगा। कर निर्धारण में इनकी राय महत्वपूर्ण होगी। वैसे यह एक स्वागत योग्य निर्णय है।
-टाइम्स न्यूज़ गजरौला.