
शासन ने गजरौला औद्योगिक क्षेत्र को भी उसी तरह नगर पालिका क्षेत्र में शामिल कर दिया है जिस तरह दूसरा समस्त आबाद क्षेत्र था। अब औद्योगिक क्षेत्र के उस तमाम हिस्से की सड़कें, जल निकासी, पथ प्रकाश, सफाई व्यवस्था आदि का दायित्व पालिका को दिया गया है जो पालिका की सीमा के अंतर्गत है। इस क्षेत्र से पालिका को संपत्ति कर हासिल करने का भी अधिकार होगा। ऐसे में यदि पालिका का राजस्व बढ़ेगा तो खर्च भी बढ़ेगा।
नगर पालिका लंबे समय से औद्योगिक क्षेत्र के उस तमाम हिस्से को अपने कार्यक्षेत्र में लेने की कोशिश कर रही थी जो औद्योगिक क्षेत्र कहलाता है। इस हिस्से में सड़कें, नालियां, जल निकासी का प्रबंध यूपीएसआइडीसी के अधीन था। खस्ताहाल सड़कें और कूड़ा कचरा भरी नालियां जिम्मेदारों के दायित्व की पोल खोल रही हैं। सड़कों की सफाई का कोई मतलब नहीं। पालिका के अधीन इस तरह के दायित्व आने पर सुधार की उम्मीद है।
गजरौला इंडस्ट्रीज वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष और कैबिनेट मंत्री चेतन चौहान ने यह मुद्दा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सम्मुख रखा था। आखिर शासन ने इस पर मंजूरी दे दी। पहले कई बार यह कोशिश की गयी थी। लेकिन तत्कालीन इ.ओ. कामिल पाशा ने निहित स्वार्थों के चलते इसे परवान नहीं चढ़ने दिया। इस बार मंत्री चेतन चौहान, पालिका चेयरपर्सन अंशु नागपाल, पूर्व सांसद देवेन्द्र नागपाल तथा इ.ओ. विजेन्द्र सिंह पाल के प्रयास से काम हो गया। अब पूरे औद्योगिक क्षेत्र का दायित्व भी पालिका को मिल गया।

इसके लिए एक कमेटी का भी गठन कर दिया गया है। जिसमें डीएम, एसडीएम, यूपीएसआइडीसी के क्षेत्रीय प्रबंधक, गजरौला इंडस्ट्रीज वेलफेयर एसोसियेशन के प्रतिनिधि सदस्य तथा पालिका के इ.ओ. सदस्य/सचिव के रुप में कार्यवाही सुनिश्चित करेंगे।
इंडस्ट्रीज वेलफेयर एसोसियेशन के को-ऑर्डिनेटर सुनील दीक्षित का मानना है कि इससे औद्योगिक क्षेत्र की सड़कें, पानी, प्रकाश और वृक्षारोपण तथा सैन्दर्यीयकरण के कार्य में तरक्की होगी। उद्योगों से प्राप्त कर को यहां विकास के कार्यों में लगाया जायेगा।
गजरौला नगर तथा औद्योगिक प्रतिष्ठानों से जुड़े लोगों ने शासन के इस निर्णय का स्वागत करते हुए खुशी जाहिर की है।
-टाइम्स न्यूज़ गजरौला.