सूखे में बाढ़ की विभीषिका झेलने को अभिशप्त गंगा तटवर्ती गांव

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इस ओर से मुंह फेरे बैठे हैं शासन और प्रशासन के ज़िम्मेदार.

अमरोहा जनपद के खादर क्षेत्र के करीब सवा सौ गांव ऐसे हैं, जो जनपद में बरसात हो या न हो लेकिन बरसाती मौसम में बाढ़ में प्रायः दो-चार होने को मजबूर हैं। इनमें हसनपुर और मंडी धनौरा दोनों विधानसभाओं में ये गांव गंगा तटवर्ती इलाके में बसे हैं। इनमें भी गजरौला तथा धनौरा विकास खण्डों के करीब दो दर्जन गांव ऐसे हैं जहां बाढ़ का पानी आना ही है। इसकी वजह पहाड़ों पर तेज़ बारिश के चलते बिजनौर बैराज से छोड़ा जाने वाला गंगा नदी का पानी है। इस बार तो यहां पर्याप्त वर्षा भी नहीं हो रही लेकिन कई बार बिजनौर से गंगा नदी में छोड़े पानी के कारण गजरौला और धनौरा ब्लॉक के कई गांवों तथा उनके खेतों में लबालब पानी भर गया है। 

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शीशोवाली और ओसीता जगदेपुर गांवों में सबसे बुरा हाल है। लोगों ने गांवों में तो जल घुसने के स्वस्तरीय बंदोबस्त कर रखे हैं लेकिन खेतों तक आने जाने में गहरे पानी में होकर हरा-चारा लाने को जाना पड़ रहा है। इसमें भैंसा बुग्गियों का सहारा है। जो हर प्रकार से खतरनाक है। लोग गले-गले तक पानी में हंसिया लेकर हरा-चारा काटते हैं और बुग्गी में लादते हैं। बुग्गियां भी कई जगह पानी में डूबकर मुश्किल से यात्रा पूरी करती हैं। पानी के कारण जहरीले सांप आदि जान बचाने को ज्वार बाजरे के पौधों पर चढ़ जाते हैं। इनसे बराबर खतरा बना रहता है। कई बार सर्पदंश से मौतों की खबरें भी मिलती हैं। पानी में कभी-कभी भैंसा-बुग्गी के डूबने की भी घटनायें होती हैं।

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इन गांवों के लोग जान पर खेलकर सूखे में आई बाढ़ से मुकाबला कर रहे हैं। ग्राम प्रधान से लेकर शासन और प्रशासन दोनों ही स्तरों से इन गांव वालों के दर्द का इलाज नहीं किया जाता। हालांकि प्रतिवर्ष मीडिया इनकी आवाज उठाता रहता है। यह और भी दुर्भाग्यपूर्ण है कि इन गांवों को शेष देश से जोड़ने वाले पीपा पुलों को बरसात में हटा दिया जाता है तथा स्थायी पुल नहीं बनवाया गया।

-टाइम्स न्यूज़ गजरौला.