
खादर क्षेत्र के गांवों का सिरमौर गांव सुनपुर कलां जो कभी सवर्ण वर्ग के लोगों की आबादी था आज राजस्थान की तहसील पहाड़ी के पास कामा से आकर बसे केतवड़ा कस्बे के कमालिया गोत्र के असली राजपूत मुस्लिम मेव-मेवाती लोगों का गांव है। ये लोग इस्लाम में आने से पहले दर्वेशों की मेहनत से मुसलमान बन गये थे। इनके बुजुर्ग सरफराज खां, एवज खां और दरिया खां ब्रजघाट के पास मौहम्मदाबाद होते हुए कांकाठेर से कुमराला और फिर सुनपुर कलां में तीन हजार बीघा ज़मीन खरीद कर बस गये। इनके गोती भाई गांवों में कमोवेश आबाद थे मगर कांकाठेर-कुमराला से पलायन कर गये।
सुनपुर कलां में मेवों के आ जाने से यहां के पंडित, बागवान, मुस्लिम तेली और कसाई(कुरैशी) गांव से पलायन उसी प्रकार कर गये जैसे लुहार तबका। ये राजस्थान से सताने पर आये या किसी महामारी या बगावत में। यह तीन दशक पूर्व आने वाले भाटों के इतिहास में दर्ज है जो अब नहीं आते। गांव की खंडित झाड़ी की दुग्धेश्वरी की मूर्ति में गांव का इतिहास छिपा है। मगर छोईया नदी को अब चकबंदी बाद नाला बना दिया है। इसके पानी कुण्ड अट गये हैं। जमीन आज भी ग्राम समाज की है। इसी भूखंड का अवशेष है छपैड़ा झील जिसे उपजिलाधिकारी फावड़ा चलाकर सुनपुर कलां झील कह रहे हैं। शासन को चाहिए 28 बीघा झील के साथ ही शेष बहत्तर बीघा नाले के इर्दगिर्द जमीनों से भी अवैध कब्जे हटवा कर सुन्दर तालाब बनवाने का काम करें। खासतौर से दो एकड़ में फैले स्थल हाथी डूबा के रकबे में झील या पार्क बनवाया जा सकता है। गांव की ईदगाह के पीछे मंगलवाला खुदाई से गांव के पानी का मंगल हो सकता है। वैसे इस गांव के कब्रिस्तान के पास खदाना लोगों के किनारों के सहारे उसी तरह पाट कर मकान बना लिये हैं जैसे पपसरा खादर गांव के पास का तालाब किनारे पाट कर दबंग लोगों की कोठियां बनती जा रही हैं।
ग्राम सुनपुर खुर्द, पखरौला, शाहपुर, खेड़की कुमराला हो या खेड़की खादर से लेकर सिहाली गोसाईं, कसेरवा तक यही हाल है। पूरे खादर के प्रत्येक गांव में ग्राम समाज की जमीनों का बड़ा माल है जिससे चकनवाला तक मालामाल हो गये। सुजमना में दुर्लभ कमल झील अटने लगी है जिसका रकबा मीलों में है। बगद नदी अवैध कब्जों की शिकार है। देखना हो तो पक्का-पुल के कुंडे के पास देख सकते हैं। उनपर कब्जा कराने में धनौरा के कई तहसील कर्मियों की गरीबी दूर हुई। सुनपुर कलां में झील की खुदाई पर गरीबों को मनरेगा से काम मिल रहा है मगर पपसरा खादर के कारनामों से बचकर काम करना होगा। तभी गरीबों को लाभ मिल सकता है।
-शिक्षक सलाम (गजरौला).