
केन्द्र सरकार द्वारा पारित तीन कृषि विधेयकों के खिलाफ शुक्रवार को किसान संगठनों के नेतृत्व में जनपद में कई जगह सड़कों पर उतरे जिससे जिला प्रशासन पूरे दिन सतर्क रहा। शाम चार बजे आंदोलन खत्म होने पर अधिकारियों ने चैन की सांस ली। हालांकि किसान नेताओं ने चेतावनी दी है कि किसान विरोधी विधेयकों को वापस नहीं लिया गया तो किसान फिर से आंदोलन करेंगे तथा जब तक काला कानून वापस नहीं लिया जाता संघर्ष जारी रखेंगे।
जिले में तीन किसान संगठनों ने तीन स्थानों पर अलगख्नअलग सड़क जाम कीं। रजबपुर में अतरासी चौराहे पर भाकियू(अराजनैतिक) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौ. विजयपाल सिंह के नेतृत्व में भारी संख्या में किसान राष्ट्रीय राजमार्ग पर जम गये और बिलों के खिलाफ नारेबाजी की, उन्हें तत्काल वापस लेने की मांग भी की। विजयपाल सिंह ने कहा कि केन्द्र सरकार उद्योगपतियों के चंगुल में है और किसानों के हाथ-पांव बांधकर उनके हवाले करने का षड़यंत्र रच रही है। ताजा कृषि विधेयक इसी षड़यंत्र का हिस्सा है। किसान सरकार और कॉर्पोरेट घरानों के जाल में नहीं फंसने वाले। वे उसका जमकर विरोध करेंगे। उन्होंने आरपार की लड़ाई का एलान किया।

उधर जनकपुरी के पास भी किसानों का एक गुट जमा हुआ था तथा विधेयकों और केन्द्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। भाकियू भानु के नेता चौ. दिवाकर सिंह ने कहा कि बिल के खिलाफ तमाम किसान और व्यापारी एकजुट हैं। ऐसे में जबतक विधेयक वापस नहीं लिए जाते किसान आंदोलन जारी रखेंगे।
धनौरा में प्रांतीय राजमार्ग को रसूलपुर माफी गांव के सामने किसानों ने अवरुद्ध कर यातायात जाम कर दिया। शाम चार बजे तक किसानों के भाषण चलते रहे जिनमें विधेयकों को किसान विरोधी करार दिया गया तथा सरकार से उन्हें रद्द करने की मांग की गई। चौ. उपेन्द्र सिंह ने कहा कि तीनों बिल किसानों के साथ व्यापारियों के भी खिलाफ हैं। इन्हें कॉर्पोरेट घरानों के लिए सरकार द्वारा लाया गया है। इनके खिलाफ किसानों का आंदोलन जारी रहेगा।
रजबपुर और धनौरा में एसडीएम शशांक चौधरी और विवेक यादव को इस संबंध में ज्ञापन देकर धरना समाप्त कर दिया गया।
इस अवसर पर रामपाल सिंह, जोरावर सिंह, उम्मेद सिंह, काले सिंह, चौण् विजयपाल सिंह, दिवाकर सिंह, सोरन सिंह, वीरेन्द्र सिंह, डूंगर सिंह, तेजवीर सिंह अलूना, महिपाल सैनी, कालीचरण, राकेश सैनी, आनन्द सरन, दीपक कुमार आदि मौजूद थे।
-टाइम्स न्यूज़ अमरोहा.