डॉ. दिलबाग को पोलैंड के राष्ट्रीय टेलिविज़न पर मुख्य वक्ता के रूप में आमंत्रित किया गया.
आयुर्वेद केवल जड़ी-बुटी प्रयोग कर बीमारियों को ठीक करने की चिकित्सा मात्र ही नहीं है। आयुर्वेद जीवन का विज्ञान है जो लोगों को प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित कराकर सुखद व स्वस्थ दीर्घायु प्रदान करता है।
धन्वन्तरि जयंती के शुभ उपलक्ष्य में आयोजित आयुर्वेद दिवस कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए आर्ट आफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर ने कहा कि आयुर्वेद की दृष्टि से मानव स्वास्थ्य केवल शरीर मात्र तक ही सीमित ना रहकर, बल्कि मानसिक, भावनात्मक एवं आध्यात्मिक स्तर पर प्राप्त करना आवश्यक है। उन्होंने आयुर्वेद एवं योग को प्रभावी तरीक़े से आम नागरिकों तक पहुँचाने के लिए पोलैंड की सरकार से अपील की, ताकि सभी उम्र व वर्ग के लोगों को आयुर्वेद का लाभ मिल सके।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि- पोलैंड एवं लिथुआनिया में भारत के राजदूत के रूप में कार्यरत श्री सेवांग नामग्याल ने सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि आयुर्वेद में बीमारी की रोकथाम के साथ ही उसे होने से पहले ही रोकने हेतु व्याधिक्षमत्व बल यानि इम्यूनिटी पावर बढ़ाने पर बल दिया है, जिसका महत्व कोरोना संक्रमण जैसे वैश्विक संकटकाल में और भी बढ़ जाता है। उन्होंने जानकारी दी कि आज आयुर्वेद दिवस के अवसर पर भारत में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जयपुर एवं जामनगर स्थित आयुर्वेद के दो श्रेष्ठ प्रतिष्ठान राष्ट्र को समर्पित किये।
डॉ. दिलबाग जिंदल द्वारा लिखित पुस्तक 'आयुर्वेद-जीवन जीने की कला' का विमोचन, कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण था, जो विश्व शांति के राजदूत के रूप में प्रसिद्ध श्री श्री रविशंकर व भारत के राजदूत श्री सेवांग नामग्याल ने संयुक्त रूप से किया।
श्री श्री रविशंकर ने पुस्तक का विमोचन कर डॉ. दिलबाग जिंदल को उनके इस प्रयास के लिये बधाई दी व आशा जताई कि पोलैंड के हर घर में यह पुस्तक पहुँचनी चाहिये। उन्होंने पोलैंड की जनता को बधाई दी कि डा. जिंदल सरीखे व्यक्ति का वहाँ सेवारत होना सौभाग्य का विषय है।
इस अवसर पर अपनी भावनाएँ व्यक्त करते हुए डॉ. दिलबाग जिंदल ने कहा कि यह केवल एक पुस्तक मात्र न होकर उनकी आयुर्वेद विज्ञान की समझ व अनुभव का व्यावहारिक निचोड़ है। उन्होंने पूर्ण विश्वास प्रकट किया कि इस पुस्तक में लिखित प्रत्येक वाक्य लोगों को स्वास्थ्य व सुख की ओर अग्रसर करेगा।
कार्यक्रम में प्रसिद्ध हालीवुड फ़िल्म अदाकारा काशा फिगुरा एवं मशहूर पोलिश फ़िल्म अदाकारा अन्ना पोविएज़ा, पोलैंड में कार्यरत बालरोग विशेषज्ञा डा.राधा जिंदल, यूरोप में आर्ट ऑफ़ लिविंग के डायरेक्टर स्वामी ज्योतिर्मय एवं प्रोजेक्ट डायरेक्टर स्वामी जातवेद, प्रसिद्ध स्वास्थ्य सम्बंधी पुस्तकों के लेखक दम्पत्ति कैरोलिना एवं माचै, श्री श्री आयुर्वेद, पोलैंड के डायरेक्टर टोमैश निटर, प्रसिद्ध ध्यान शिक्षक अहमद-अल-अलालावी, पोलैंड स्थित आयुर्वेद कालेज की डायरेक्टर श्रीमती ग्रजैना, श्री श्री तत्त्व, पोलैंड के डायरेक्टर अमृत शर्मा आदि अनेक गणमान्यों ने भागीदारी की।
कार्यक्रम का संचालन पुस्तक की सह लेखिका व अनुवादक योआन्ना गावरिलचिक ने किया। कोरोनकाल के नियमों के चलते यह कार्यक्रम ऑनलाइन आयोजित किया गया, जिसमें पोलैंड व अन्य अनेक देशों के हज़ारों लोगों ने भाग लिया।
इस कार्यक्रम से पूर्व दिन की शुरुआत में डॉ. दिलबाग को पोलैंड के राष्ट्रीय टेलिविज़न (TVP-2) पर प्रातः क़ालीन प्रसारित होने वाले प्रसिद्ध कार्यक्रम “पितानिया ना श्नैदानिया” (नाश्ते पर प्रश्न) में मुख्य वक्ता के रूप में आमंत्रित किया गया। टीवी पर दिये गये साक्षात्कार के उपरांत डॉ. जिंदल ने कहा कि आयुर्वेद को पोलैंड के राष्ट्रीय टेलिविज़न के माध्यम से लोगों तक पहुँचाकर उन्हें गर्व का अनुभव हो रहा है। इन सभी उपलब्धियों के लिए उन्होंने अपने गुरु, परिजनों व रोगियों के प्रदान किये गये आशीर्वाद हेतु कृतज्ञता प्रकट की।
धनौरा स्थित उनके निवास स्थान जिंदल हाउस में उनकी माता श्रीमती कमलेश जिंदल व पिता डॉ. बी.एस.जिंदल ने पुत्र की उपलब्धि पर प्रसन्नता ज़ाहिर की व कहा कि यह न केवल उनके परिवार के लिये बल्कि भारत समेत सम्पूर्ण विश्व में स्थित आयुर्वेद जगत के लोगों के लिये गौरव का क्षण है।
उन्होंने कहा कि ईश्वर से प्रार्थना है कि उनके पुत्र डॉ. दिलबाग व पुत्रवधू डॉ. राधा जिंदल, विदेशों में अपनी चिकित्सीय सेवाएँ प्रदान कर पूरे परिवार का ही नहीं, बल्कि समस्त नगर, प्रदेश व देश का नाम यूँ ही रोशन करते रहें। उन्होंने जानकारी दी कि गत माह डॉ. जिंदल को पोलैंड में द्वितीय पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई है, जिसके साथ पुस्तक के विमोचन की खबर पाकर प्रसन्नता और भी अधिक बढ़ गयी है।
-टाइम्स न्यूज़ धनौरा.