स्वयं को बचाने में लगे इ.ओ., सभासद, लेखपाल तथा तहसीलदार. मामला लखनऊ तक पहुंचा.
जिस भूमि के स्वामित्व को लेकर मामला सबसे बड़ी अदालत में चल रहा है। उसकी खरीद फरोख्त कैसे हो गयी? यही नहीं सिलसिला वर्षों से जारी है। तहसील के उप-रजिस्ट्रार कार्यालय में धड़ाधड़ रजिस्ट्रियां होती रहीं। किसी को खबर तक नहीं हुई। या सबकुछ जानबूझकर कराया जाता रहा है। यह मूलरुप से कृषि भूमि है। इसे कृषि भूमि से आवासीय में बिना लेखपाल, बिना तहसीलदार अथवा एसडीएम की संस्तुति के परिवर्तित किया ही नहीं जा सकता।
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इस मामले को कुछ लोगों ने लखनऊ तक पहुंचाया क्योंकि जिला स्तर तक शिकायत से कुछ नहीं हुआ। हालांकि अब जो कुछ हुआ है वह मौजूदा डीएम उमेश मिश्रा की सख्ती से हुआ है। डीएम ने सख्त लहजे में भूमाफियाओं के खिलाफ संबंधित कानून में मामला दर्ज कराने के निर्देश एसडीएम तथा तहसीलदार तथा प्रॉपर्टी डीलरों में खलबली मच गयी है। सब स्वयं को बचाने में लगे हैं। उधर इ.ओ. ने भी कह दिया है कि यह भूमि विवादित है। उन्होंने दो पालिका बाबुओं को भी निलंबित कर दिया है। इस मामले में उच्च स्तरीय जांच की जरुरत है। इस समय तो तहसील स्तर से इसपर लीपापोती के उपाय ही किए जा रहे हैं जबकि जैसे-तैसे पूंजी जुटाकर प्लाट खरीदने वालों को ही बलि का बकरा बनाये जाने की कोशिश की जा रही है। अभी तक किसी प्रॉपर्टी डीलर अथवा उनके सहायक सभासद और लेखपाल तक के खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं की गयी तथा न ही संभावना दिख रही है।दूसरी ओर करोड़ों रुपयों के इस भूमि घोटाले को अंजाम देने तथा उनके सहयोगियों के खिलाफ कार्रवाई को कई लोग मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक जाने की तैयारी में हैं।
-टाइम्स न्यूज़ गजरौला