पालिका कार्यालय से सटी सीलिंग की विवादित भूमि सभासदों, बाबुओं और प्रॉपर्टी डीलरों ने करोड़ों में बेच दी

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जमीन बेचने वाले प्रॉपर्टी डीलरों के घर जाकर लोगों ने प्रदर्शन भी किया तथा उन्हें खरी खोटी भी सुनाई.

यहां के ललिता मंदिर के पास गाटा संख्या 111 की 22 बीघा जमीन विवादित भूमि है। स्वामित्व विवाद सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। सीलिंग कानून के तहत इसे सरकार ने कब्जे में लिया था। उसी समय एक व्यक्ति ने इस पर अपना हक जताते हुए अदालत में स्वामित्व का दावा किया था। जो इ.ओ. नगर पालिका विजेंद्र सिंह पाल के अनुसार इस समय सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। इस पर स्टे है। ऐसे में इस भूमि को कोई न तो खरीद सकता है, न ही कोई बेच सकता है।

मजेदार बात यह है कि इसमें से अधिकांश भूमि बेच दी गयी। बल्कि कई भूखंड कई बार बेच दिये गये यानी एक से दूसरे, दूसरे से तीसरे और तीसरे से चौथे व्यक्ति को भूमि की रजिस्ट्री होती चली गयी। यही नहीं कुछ प्लाटों का तहसील से वाकायदा दाखिल खारिज भी हो गया। इससे भी आगे चलकर इस तरह के कुछ प्लाटों पर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान भी बना लिए। इससे भी आगे नगर पालिका के कई बाबू निकले जिन्होंने इन्हें वैध ठहराने के लिए गृह कर की रसीदें भी काट दीं।

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गाटा संख्या 111 की भूमि को नगर पालिका परिषद की सम्पत्ति घोषित कर इ.ओ. विजेन्द्र सिंह पाल ने वहां एक बोर्ड भी लगा दिया। जिस पर लिखा है। गाटा संख्या 111, 112, 72 की समस्त भूमि है। जबकि छोटे-छोटे प्लाट काटकर वहां तमाम क्षेत्र में नींव भरी पड़ी हैं। इन प्लाटों का स्वयं को मालिक बताने वाले 44 लोगों का कहना है कि उन्होंने प्रॉपर्टी डीलरों से खरीदा है जिसकी रजिस्ट्री उनके पास हैं। कुछ सभासदों तथा एक सभासदपति ने भी यहां जमीन खरीदी और बेची है। यह जानकारी मौजूद लोगों ने दी है। वार्ड 24 के सभासद सरताज उर्फ कलवा की यहां आरा मशीन है। सभासद के कब्जे में कई बीघा जमीन है। उसकी बाउंड्री को अवैध कब्जे के तहत पालिका इ.ओ. ने जेसीबी से एसडीएम, तहसीलदार तथा लेखपाल के सामने तुड़वाया। इसी के साथ कई नींव भी उखड़वा दीं। इससे जमीन खरीददारों में रोष है। उनका कहना है कि उन्होंने पूरे पैसे देकर जमीनें खरीदी हैं तथा विधिवत रजिस्ट्री करायी है। जमीन बेचने वाले प्रॉपर्टी डीलरों के घर जाकर इन लोगों ने प्रदर्शन भी किया तथा उन्हें खरी खोटी भी सुनाई।

-टाइम्स न्यूज़ गजरौला.