उन्होंने कहा कि बिरादरी के कई नेता अलग-अलग दलों से जुड़ें हैं और सत्ता के सहारे विकास और जनसेवा का काम करें.
काफी समय से बसपा से नाराज चल रहे शेर सिंह बौद्ध साइकिल पर सवार होने जा रहे हैं। जब तक यह खबर आप तक पहुंचे तब तक हो सकता है वो सपा में विधिवत शामिल भी हो जायें। यह समाचार टाइम्स को स्वयं बौद्ध के द्वारा प्राप्त कराया है। उन्होंने यह भी कहा कि उनके साथ उनके कई पुराने साथी भी सपा की सदस्यता ग्रहण करने जा रहे हैं। पूर्व मंत्री कमाल अख्तर उन्हें विधिवत शामिल करेंगे। बसपा से मोहभंग और सपा से प्रेम की वजह पूछने पर शेर सिंह बौद्ध ने कहा कि उनकी बिरादरी पर हाथी प्रेम का ठप्पा लगा है। बहुदलीय राजनीति में किसी भी वर्ग को किसी दल विशेष से जुड़कर नहीं चलना चाहिए। अपने वर्ग के लोगों के हित में काम करने के लिए समाज के नेताओं को सभी दलों में पैठ की जरुरत है।
पूर्व बसपा नेता ने उदाहरण देते हुए कहा कि धनौरा से भाजपा विधायक राजीव तरारा भाजपा की सत्ता के सहारे समाज सेवा कर रहे हैं। ऐसे ही मैं भी चाहता हूं कि सपा से जुड़ूं और सपा की सत्ता के दौरान मुझे भी सेवा का मौका मिले। उन्होंने कहा कि बिरादरी के कई नेता इसी तरह अलग-अलग दलों से जुड़ें हैं और सत्ता के सहारे विकास और जनसेवा का काम करें। केवल एक ही दल से सारे नेताओं के जुड़े रहने से बिरादरी का भला नहीं होने वाला। बौद्ध ने जाटों का भी उल्लेख किया तथा इशारा किया कि वे सभी दलों में हैं तथा सत्ता का लाभ उठा रहे हैं। हमें भी उनका अनुसरण करना होगा।
आगामी जिला पंचायत चुनाव के बारे में पूछने पर शेर सिंह बौद्ध ने कहा कि अभी कुछ नहीं कहा जा सकता। उल्लेखनीय है कि बौद्ध बसपा संगठन में कई बड़े पदों पर रह चुके हैं जबकि गुटबंदी के कारण पार्टी से दो बार निकाले भी जा चुके हैं। वे प्रखर वक्ता तथा संयमित वाद-विवाद के पक्षधर हैं। यह समय बतायेगा कि सपा उनके सहारे दलित मतदाताओं में कितनी पैठ बना पायेगी अथवा बौद्ध सपा के सहारे अपनी राजनीतिक हैसियत को कितना मजबूत कर पायेंगे?
-टाइम्स न्यूज़ गजरौला.