धनौरा विधानसभा क्षेत्र से सपा उम्मीदवार हो सकते हैं शेर सिंह

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'यदि शेर सिंह बौद्ध जैसे किसी नेता को मैदान में उतारा जाये तो जातीय समीकरण सपा के पक्ष में बहुत मजबूत रहेंगे.'

शेर सिंह बौद्ध और होरी सिंह को सपा में शामिल करने के पीछे सपा नेता पूर्व मंत्री कमाल अख्तर की दलित मतदाताओं को सपा से जोड़ने की रणनीति का एक हिस्सा हो सकता है और बसपा के संस्थापक सदस्य होरी सिंह को बुढ़ापे में बसपा छोड़कर सपा में जाना पुरानी पार्टी में उपेक्षित रहना उनका निजि मामला हो सकता है। उधर शेर सिंह बौद्ध भी कई बार बसपा से बाहर किए गये अतः उन्हें भी कोई ठिकाना चाहिए था। अब समय बतायेगा कि सपा को इन दो नेताओं के आने से क्या लाभ होता है तथा ये दोनों नये घर में क्या हासिल करते हैं?

बसपा कार्यकर्ताओं से बात करने पर पता चलता है कि दोनों ही नेताओं के पीछे खास जनाधार नहीं हैं तथा वे अपनी अस्मिता को बचाये रखने को यह सब कर रहे हैं। वैसे भी पार्टी छोड़ने और उन्हें आसरा देने वालों पर यह कहावत अधिक सटीक बैठती है कि हमें ठौर नहीं तुम्हें और नहीं।

उधर सपा में पूर्व मंत्री जगराम सिंह के विरोधी गुट के एक नेता का कहना है कि धनौरा विधानसभा सीट से सपा किसी जाटव को मैदान में लाना चाहती है। जगराम सिंह को यहां के बड़े दलित वोट बैंक का समर्थन नहीं मिलने वाला। ऐसे में यदि शेर सिंह बौद्ध जैसे किसी नेता को मैदान में उतारा जाये तो जातीय समीकरण सपा के पक्ष में बहुत मजबूत रहेंगे। यदि ऐसा होता है तो जगराम सिंह की छुट्टी हो सकती है। लेकिन ये केवल अटकलें हैं। समय आने पर ही पता चलेगा कि सपा शेर सिंह बौद्ध का कहां इस्तेमाल करना चाहती है?

जहां तक भाजपा की बात है उसके पास बहुत ही स्वच्छ छवि तथा हर छोटे-बड़े व्यक्ति की सेवा में संलग्न अत्यंत मजबूत उम्मीदवार राजीव तरारा मौजूद हैं। वे जब से विधायक चुने गये हैं तब से पूरे समय क्षेत्रीय जनता की सेवा में संलग्न हैं। उन्होंने अपने तथा पार्टी के समर्थकों की संख्या में लगातार बढोत्तरी की है।

-टाइम्स न्यूज़ मंडी धनौरा.