गंगा नदी के पुल पर 35 करोड़ खर्च, फिर भी चलने लायक नहीं

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जनता से वूसला जा रहा भारी-भरकम टोल-टैक्स, खस्ताहाल पुल-टूटी सड़क दुघर्टना को दावत दे रही.

नेशनल हाइवे पर ब्रजघाट में गंगा नदी पर बना पुल राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के नौकरशाहों और लापरवाह अधिकारियों के रवैये के कारण 35 करोड़ रुपए खर्च करने के बावजूद जर्जर है। लगभग साठ वर्ष पुराना यह जर्जर पुल इस हालत में पहुंच चुका है कि इसकी मरम्मत के बजाय इसका पुनः निर्माण होना जरुरी है। मरम्मत के लिए अप्रैल 2017 में इस पर आवागमन बंद कर दिया गया। जो मरम्मत में 35 करोड़ खर्च कर 11 मार्च 2019 में यातायात के लिए पुल खोला गया। आवागमन शुरु होते ही मरम्मत की गयी सड़क उधड़नी शुरु हो गयी, लिहाजा फिर यहां आवागमन बंद कर दिया गया। बीच में थोड़ी मरम्मत के बाद आवागमन खोला तो सड़क में गड्ढे भी हो गये और पुल का पिलर नंबर चार नीचे धंस गया। उसके बाद से आज तक पुल पर आवागमन बंद है। जबकि 2021 की पहली जनवरी तक पुल दुरुस्त कर उस पर यातायात चालू करने का एनएचएआई की ओर से दावा किया गया था।

1 अप्रैल 2017 से अभी तक पुल आवागमन लायक नहीं हुआ। जबकि उसकी मरम्मत के नाम पर 35 करोड़ रुपए हजम कर लिए गये। यहां हजम शब्द इसलिए सटीक है क्योंकि यह रकम खर्च दिखाने के बाद पुल की स्थिति सुधारने के बजाय पहले से भी बदतर हो गयी। नेशनल हाइवे पर बने इस पुल पर ट्रैफिक का भारी दवाब रहता है। देश और सबसे बड़ी आबादी के राज्य की राजधानी लखनऊ को जोड़ने वाले इस मार्ग पर दिन-रात वाहन दौड़ते रहते हैं।

इस पुल के निर्माण के न होने से इसके समानान्तर नये बने टू-लेन पुल पर भी खतरे के बादल मंडराने लगे हैं। पुराना पुल बंद कर नये पुल पर ही दोनों ओर का यातायात चालू है। वाहनों की भीड़ के कारण पुल जाम का शिकार होता है। भारी भरकम वाहन घुर्र-घुर्र करते हुए घंटों उसपर खड़े रहते हैं। जिससे पुल थरथराता रहता है। 1 जनवरी तक इसी साल पुराना पुल चालू करने का दावा भी झूठ निकला। अब दस माह बाद पुल चालू करने की बात कही जा रही है। पुल के सभी पिलर खतरनाक हालत में हैं। जब एक पिलर धंस गया तो शेष पुलों पर कैसे भरोसा किया जा सकता है। मरम्मत ​के नाम पर यदि करोड़ों रुपए फिर से खर्च किए गये और पुल चालू कर दिया गया तो उस पुल से गुजरने वाले किसी भी तरह सुरक्षित नहीं ​माने जा सकते। समस्या का समाधान पुराना पुल तोड़कर नया मजबूत पुल बनाना ही है। जबकि राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ऐसा करना नहीं चाहता। वह मुर्दे को हींग लगाकर जिंदा करने की ही कोशिश में लगता है।

पिलखुआ से जोया तक लगभग सौ किमी. लंबे इस राजमार्ग पर कई जगह भारी-भरकम दर से टोल-टैक्स वसूली केन्द्र लगे हैं लेकिन 2017 से जर्जर इस पुल के निर्माण की जरुरत महसूस न करना डबल इंजन की सरकार की निष्क्रियता का जीता-जागता उदाहरण है। यदि सड़क प्राधिकरण के अधिकारी लापरवाह या भ्रष्ट हैं तो यहां से आएदिन गुजरने वाले देश व केन्द्र के अनेक मंत्री और सरकार के हाथ-पांव कहे जाने वाले आला अफसर इस ओर से क्यों आंखें बंद किए हैं? क्या ये सभी किसी बड़ी दुर्घटना की बाट देख रहे हैं?

यही नहीं गंगा नदी पर बने इस पुल से गजरौला की ओर मात्र आठ किमी. पर बगद नदी पर बना एक पुल लंबे समय से टूटा पड़ा है। यहां भी उसके समानान्तर बने दूसरे वन साइड के पुल पर भी दोनों ओर का ट्रैफिक जारी है। चालू पुल पर क्षमता से अधिक वाहन गुजरने से खतरा बढ़ गया है। यहां आएदिन तंग मार्ग की वजह से वाहन दुर्घटनाग्रस्त होते रहते हैं। रेलिंग पर लटकने या उसे तोड़कर नीचे गिरने की घटनायें आम बात हैं। बस-कार की टक्कर में दोनों वाहन इसी सप्ताह क्षतिग्रस्त हुए। कार रेलिंग से टकराकर बुरी तरह टूट गयी। घायलों और मृतकों की संख्या बढ़ती रहती है। नेशनल हाइवे प्राधिकरण खामोश है। न तो गंगा नदी और न ही बगद नदी पर पुल बनाने की उसे चिंता है। यह भी पता नहीं कि उसके बजट में ये हैं भी या नहीं।

लोग जान हथेली पर लेकर टूटे पुलों और खतरनाक राजमार्ग से विचरण कर रहे हैं। जबकि उनसे टोल-टैक्स वसूली पर डबल इंजन की सरकार का पूरा जोर है। बसपा सांसद कुंवर दानिश अली इस मामले को संसद में उठा चुके लेकिन समस्या क समाधान नहीं हुआ। उन्हें केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने यह जरुर बताया कि गढ़-ब्रजघाट में राष्ट्रीय राजमार्ग पर 35 करोड़ 44 लाख रुपए खर्च किए जा चुके। पैसे खर्च किया लेकिन कोई यह देखने वाला नहीं कि पैसे कहां खर्च हुए और जरुरत कहां है?

-टाइम्स न्यूज़ गजरौला.

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