प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल यादव 25 फरवरी को पूर्व सांसद हरीश नागपाल के आवास पर आने वाले हैं। उनके आगमन पर भारी भीड़ जुटाने के लिए पूर्व सांसद के करीबी जाकिर हुसैन, हरिओम कश्यप और भोजराम ने गांवों में जनसंपर्क शुरु कर दिया है। नागपाल के करीबी सूत्रों का कहना है कि प्रसपा और सपा (शिवपाल और अखिलेश) में समझौते की तैयारी हो चुकी है। ऐसे में शिवपाल और हरीश नागपाल में भी इस विषय पर चर्चा होगी। चर्चा से पूर्व नागपाल यहां भीड़ एकत्र कर अपना दमखम दिखाना चाहते हैं। उन्होंने यहां अपने हवेली होटल में कई हजार लोगों को भोज की तैयारी की योजना बनाई है। इससे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि हरीश नागपाल एक बार फिर से सियासी पारी खेलने आ रहे हैं।
अभी हरीश नागपाल अपने गृह नगर में नहीं आये लेकिन उन्होंने अपने खासम-खास जाकिर हुसैन के नेतृत्व में अपने विश्वसनीय सहयोगियों की एक टीम गठित कर उसे गांवों में जनसंपर्क कर अधिक से अधिक भीड़ जुटाने का आदेश दिया है। यह जानकारी जाकिर हुसैन से प्राप्त हुई है जबकि हरीश नागपाल से संपर्क नहीं हो सका। हरिओम कश्यप, जाकिर हुसैन और भोजराम आजाद के बारे में खादर के कई गांवों के लोगों का कहना है कि नगलिया मेव, चकनवाला, सिहाली मेव, तिगरी आदि में इन लोगों ने संपर्क किया है और अधिक से अधिक लोगों से हरीश नागपाल की दावत में शामिल होने की अपील की है। जाकिर हुसैन का भी कहना है कि वे साथियों के साथ गांवों में जाकर लोगों को नेता शिवपाल यादव के आगमन पर दिए जाने वाले भोज में आमंत्रित कर रहे हैं। उनका कहना है कि लोग दोनों नेताओं के उद्गार सुनने को उत्सुक हैं।
उल्लेखनीय है कि हरीश नागपाल ने 2004 में निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में अमरोहा लोकसभा से भाजपा के चेतन चौहान और रालोद के मौलाना महमूद मदनी जैसे दिग्गजों को पराजित कर तहलका मचा दिया था। यद्यपि इस जीत में उनके अनुज तत्कालीन विधायक देवेन्द्र नागपाल की लोकप्रियता सबसे बड़ी वजह थी। यही वजह थी उसके बाद 2009 में भारी बहुमत के साथ देवेन्द्र नागपाल कांग्रेस-रालोद गठबंधन के उम्मीदवार के रुप में सांसद बनने में सफल रहे।
उन्होंने सपा उम्मीदवार को पराजित किया। मजेदार बात यह रही कि उस समय हरीश नागपाल भी अपने अनुज के सामने मैदान में थे लेकिन वे बुरी तरह पराजित हुए।
हरीश नागपाल के समर्थकों से पता चलता है कि वे जिला पंचायत में कुछ चेलों को मैदान में उतारकर विधान सभा के चुनाव की तैयारी करने वाले हैं। शिवपाल से संबंध बढ़ाकर सपा-प्रसपा के संभावित गठबंधन अथवा एकीकरण के सहारे वे विधानसभा चुनाव में उतरना चाहते हैं। किसान आंदोलन की वजह से उन्हें किसान मतों के भाजपा के खिलाफ जाने की उम्मीद से प्रसपा और सपा में उन्हें मजबूती दिखाई दे रही है। हरीश नागपाल भले ही दावत के नाम पर कुछ भीड़ जुटाने में सफल हो जायें लेकिन उनके पास न तो जनसमर्थन है और न ही जनसमर्थन जुटाने योग्य टीम। वे स्वयं भी क्षेत्रीय लोगों से संपर्क नहीं रखते हैं।
-टाइम्स न्यूज़ गजरौला.