एनजीटी ने माना — टेवा से जारी प्रदूषण जनजीवन के लिए खतरा

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संयुक्त जांच टीम ने मौके पर पाया कि फैक्ट्री में प्रदूषण नियंत्रण यंत्र नहीं थे.

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में यहां की दवा निर्माता बहुराष्ट्रीय कंपनी टेवा एपीआई इंडिया लि. द्वारा प्रदूषण फैलाने के मामले में सुनवाई हुई। जिसमें कंपनी पर प्रदूषण के आरोपों की पुष्टि हुई। साथ ही यह भी पाया गया है कि इसका दुष्प्रभाव मानव जीवन सहित पूरे वातावरण पर पड़ रहा है। पिछले साल सात जून को रात नौ बजे टेवा से हुए गैस रिसाव से नगर में धुंध छा गयी थी जिससे लोगों को सांस लेने में तकलीफ हुई थी। एक वकील के चाचा तब से अभी तक बीमार हैं।

नगर निवासी सुप्रीम कोर्ट तथा एनजीटी की वकील मानसी चाहल ने एनजीटी कोर्ट में इस गैस रिसाव के खिलाफ वाद दायर किया था। इस मामले में एनजीटी कोर्ट में सुनवाई हुई। मानसी चाहल तथा एक अन्य वकील शारिक जैदी ने कोर्ट में अपनी बात रखते हुए कोर्ट को अवगत कराया कि गत वर्ष 7 जून को रात नौ बजे टेवा से गैस रिसाव हुआ। जिससे लोगों में अफरा तफरी मच गयी। लोगों की सांस फूलने लगी। कई उम्रदराज लोग बीमार पड़ गये।

उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों ने कोर्ट में बताया कि 7 जून को टेवा से गैस रिसाव हुआ था। संयुक्त जांच टीम ने मौके पर पाया कि फैक्ट्री में प्रदूषण नियंत्रण यंत्र नहीं थे। स्क्रबर काम नहीं कर रहा था। यह प्रदूषण नियंत्रण कानून का खुला उल्लंघन है।

अधिवक्ता मानसी चाहल ने कहा है कि एनजीटी ने मान लिया है कि टेवा प्रदूषण फैला रही है। एनजीटी की ओर से भी यहां एक टीम ने फैक्ट्री के आसपास की मिट्टी तथा वातावरण पर पड़ रहे दुष्प्रभाव की जांच की थी। मानसी चाहल ने कोर्ट से टेवा पर क्षतिपूर्ति दण्ड लगाने की मांग की। उधर कोर्ट में मौजूद टेवा के वकील बचाव में कोई संतोषप्रद जवाब नहीं दे सके। उन्होंने इसके लिए दो दिन का समय मांगा। कोर्ट ने अंतिम सुनवाई आगे बढ़ा दी।

-टाइम्स न्यूज़ गजरौला.