केजरीवाल सरकार से सीखे योगी सरकार

केजरीवाल सरकार से सीखे योगी सरकार

दिल्ली से महंगी बिजली उपभोक्ता को बेचने के बावजूद उत्तर प्रदेश विद्युत निगम भारी घाटे में चल रही है.

बिजली आजकल हर आम आदमी से लेकर खास आदमी की जरुरत है। पहले नोटबंदी बाद में कोरोना की वजह से लगे बार-बार लॉकडाउन ने गरीब को और गरीब बना दिया। पेट्रोल और डीजल पर बेतहाशा सरकारी टैक्सों ने महंगायी को बढ़ावा दिया है। इसका भी दवाब गरीबों और निम्न मध्यम वर्ग के लोगों पर ही ज्यादा पड़ रहा है। ऐसे में यदि योगी सरकार प्रदेश में बिजली के छोटे उपभोक्ताओं को कोई रियायत करे तो गरीब राहत महसूस करेगा। उत्तर प्रदेश सरकार को दिल्ली की केजरीवाल सरकार से सीखना चाहिए कि उसने किस प्रकार छोटे उपभोक्ताओं को निशुल्क बिजली दे रखी है। बिजली विभाग स्वयं मुख्यमंत्री के हाथों में है। अरविन्द केजरीवाल उपभोक्ताओं का ध्यान रखते हुए उन कंपनियों से बिजली खरीद रहे हैं जो सस्ती कीमत पर बिजली दे रही है। उसका लाभ दिल्ली की जनता को मिल रहा है। सरकारों का दायित्व है कि वे बड़ी कंपनियों की लूट-खसोट से जनता की रक्षा करें। केजरीवाल सरकार यही कर रही है।

जबकि उत्तर प्रदेश में कंपनियों को मनमानी की छूट दी गयी है यहां बिजली महंगे दामों में खरीदी जा रही है। उसे जनता को और भी महंगे दामों में बेचा जा रहा है। कम बिजली खर्च करने वालों यानी गरीबों को बिजली महंगी पड़ रही है। कम यूनिट खर्च होने के बावजूद उससे एक निश्चित शुल्क भी वसूला जा रहा है जिसे मिलाकर उसे यूनिट मूल्य का दोगुना तक भुगतान करना पड़ रहा है। उससे दोगुनी या ज्यादा बिजली जलने वाले से भी उतना ही फिक्स चार्ज लिया जा रहा है।

दिल्ली से महंगी बिजली

दिल्ली से महंगी बिजली उपभोक्ता को बेचने के बावजूद उत्तर प्रदेश विद्युत निगम भारी घाटे में चल रही है। घाटा पूरा करने के बहाने यहां बार-बार बिजली मूल्य बढ़ाया जाता रहा है। यही नहीं नये मीटर लगाने के बहाने उनकी रफ्तार भी बढ़ायी जाती है। यह ग्राहकों के साथ धोखाधड़ी की तरह है। इस सबके बावजूद निगम का घाटा पूरा होने के बजाय बढ़ता ही जा रहा है। घाटापूर्ति के नाम पर बार-बार बिजली मूल्य बढ़ाया जाता रहा है। उधर दिल्ली में केजरीवाल सरकार लगातार तीसरे कार्यकाल में है। बिजली आपूर्ति और गरीब उपभोक्ताओं की रियायत के फॉर्मूले पर कायम है। घाटा भी नहीं के बराबर है। योगी सरकार और उसके नौकरशाह केजरीवाल सरकार से क्यों नहीं सीख रहे। दिल्ली तो उत्तर प्रदेश से सटा प्रदेश है। चुनाव प्रचार के लिए तो योगी किसी भी प्रदेश तक चले जाते हैं। अपने राज्य में किसानों को किसान निधि का पैसा दिला नहीं पाते, दूसरे राज्यों को दिलाने का प्रचार करते नहीं थकते। मेरे पास कई छोटे किसानों का ब्यौरा है जिन्हें पात्र होने के बावजूद, सभी कागजी कार्रवाई के बाद आठ में से एक भी किश्त नहीं मिली। पंचायत चुनाव के नतीजों से ही योगी जी जनता का मिजाज समझ लें।

-जी.एस. चाहल.