लंबे समय से बंद स्कूल संचालक मानसिक तनाव के शिकार, सरकार से समाधान की गुहार

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कोरोना महामारी की दूसरी लहर के चलते बंद पड़े निजि स्कूलों के संचालकों की चिंता बढ़ गयी है। इनमें जूनियर हाईस्कूलों के संचालकों का बुरा हाल है। इन स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों की शिक्षा तो बुरी तरह प्रभावित हुई ही है जबकि कई अभिभावक उन्हें घर पर ट्यूशन दिलाकर काम चला रहे हैं।

नगर के कृष्णा पब्लिक जू.हा. स्कूल के संचालक रामकृष्ण चौहान बड़े संकट में हैं। उन्होंने बताया कि उनका स्कूल तेरह माह से बंद है। ऐसे में किसी भी अभिभावक ने स्कूल फीस जमा नहीं की। बिजली बिल बराबर जमा करना पड़ रहा है। स्कूल में दो कर्मचारी -एक चपरासी तथा एक वाहन चालक नियमित रखने पड़ रहे हैं। बिजली और दो कर्मचारियों का वेतन देना मुश्किल हो गया है। चौहान साहब के सामने एक बड़ी समस्या यह भी हो गयी कि मकान निर्माण के लिए बैंक से लिए ऋण की किश्तें भी जमा नहीं हो पा रहीं। इससे बैंक प्रबंधन का दवाब बढ़ गया है। प्रबंधकों को मजबूरी बतायी तो उन्होंने दो माह का समय दिया है। चौहान साहब का कहना है कि दो महीने में पैसा कहां से आ जायेगा। जब उनकी आय की एकमात्र साधन शिक्षण संस्था बंद है। ऐसे में वे बहुत बड़ी मुश्किल में फंस गये हैं और मानसिक तनाव के शिकार होते जा रहे हैं।

पिछले दिनों अमरोहा के पुष्कर मोहल्ला निवासी वीरेन्द्र सिंह ने कर्ज का भारी दवाब होने से चिंता में आत्महत्या कर ली। कई दूसरे स्कूलों के संचालकों में भी घोर निराशा है। वे सभी भारी मानसिक तनाव में हैं। सरकार से राहत की मांग कर रहे हैं। बैंक उन्हें राहत देना नहीं चाहते।

रॉयल स्कॉलर्स अकादमी के संचालक समीर प्रभाकर भी भारी तनाव और चिंता से परेशान हैं। उनका कहना है कि सबसे बड़ी चिंता बैंकों से ली गयी स्कूल बसों की किश्तें समय पर जमा न हो पाना है। उनका कहना है कि आय शून्य हो गयी है तथा रोजमर्रा के घरेलू खर्चों से पार पाना ही जब कठिन हो तो बैंकों में मासिक किश्त कैसे जमा हो? बैंक तो समय पर नोटिस भेज रहे हैं। उन्हें इससे कोई सरोकर नहीं कि राष्ट्रीय आपदा से स्कूलवाले किस स्थिति में पहुंच गये हैं।

अमन पब्लिक जू.हा. स्कूल, आदर्श बाल जू.हा. स्कूल और सनातन धर्म जू.हा. स्कूल आदि सभी स्कूलों के संचालकों की आर्थिक हालत बहुत ही डांवाडोल हो गयी है। महामारी के लंबा चलने की आशंका से वे सभी बुरी तरह भयभीत हैं तथा गहरे विषाद में डूब गये हैं।

केवल जू.हा. स्कूल ही नहीं वरन उत्तर प्रदेश शिक्षा बोर्ड के निजि हाईस्कूल और इंटर कॉलेज भी गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं। सेंट सैफ इंटर कॉलेज नाईपुरा और एचसीएम इंटर कॉलेज कुमराला सहित कई कॉलेजों के संचालकों का कहना है कि उनके खर्च बदस्तूर जारी हैं तथा बार-बार शिक्षण संस्थायें बंद होने की वजह से पढ़ाई तो प्रभावित हो ही रही है साथ ही शिक्षण शुल्क बंद है। इससे आर्थिक स्थिति बेहद डांवाडोल होती जा रही है। ऐसे कॉलेजों में बसों का प्रबंध है जिन्हें बैंकों से ऋण लेकर खरीदा गया है। बैंकों की किश्तें समय से जमा नहीं होने से बैंकों का दवाब ऐसे स्कूल संचालकों पर बढ़ गया है। इससे सभी मानसिक परेशानियों से जूझ रहे हैं।

स्कूल संचालकों का कहना है कि भीषण कोरोनाकाल की वजह से बंद पड़ी शिक्षण संस्थाओं को बचाये रखने और संचालकों को मानसिक दवाब से राहत के लिए सरकार के कोई कारगर उपाय करना चाहिए। संस्थाओं को ऋण भार में सहायता करनी चाहिए।

-टाइम्स न्यूज़ गजरौला.