नए साल के आगाज पर कभी भी चुनावी उद्घोषणा के साथ आचार-संहिता लागू हो सकती है। ऐसे में प्रदेश की भाजपा सरकार के क्षेत्रीय विधायक राजीव तरारा का कार्यकाल संपन्न होने जा रहा है। वर्ष 2022 के शुभागमन के अवसर पर उनके कार्यकाल की उल्लेखनीय उपलब्धियों को रेखांकित किया जाये तो बेहतर होगा। मोटे तौर पर राजीव तरारा का संपूर्ण कार्यकाल एक ऐसे जन-प्रतिनिधि का है जिसमें उन्होंने अपने दायित्वों का उचित निर्वहन किया है। युवा विधायक जनता के बीच जनता की सेवा के लिए उपलब्ध रहे हैं। कोरोना की दोनों भयंकर लहरों में भी उन्होंने बढ़चढ़ कर सेवायें दी हैं जिनमें जरुरतमंदों की खान-पान और आर्थिक दोनों ही तरह की सेवा उनके बीच पहुंच कर उपलब्ध करायी। घंटों सिलाई मशीन चलाकर स्वयं मास्क तैयार कर जनता में बंटवाये। सार्वजनिक रसोई जारी रखी। इसका खर्च भी उन्होंने स्वयं वहन किया, कुछ साथियों का भी सहयोग मिला। प्रधानमंत्री तथा मुख्यमंत्री स्थापित कोष में कोरोना उन्मूलन के लिए आर्थिक सहायता दी और क्षेत्र के दूसरे लोगों को भी प्रेरित कर उनसे भी राशि भिजवाई। जबकि सारी विधायक निधि कोरोनाकाल में पहले ही राहत फंड में कट रही थी।
आमतौर पर देखने में आता है कि सांसद और विधायक निहित स्वार्थों के लिए क्षेत्र में लोगों को आपसी विवादों में उलझने देते हैं तथा कई बार उन्हें हवा भी दी जाती है। इसके विपरीत राजीव तरारा ने एक आदर्श स्थापित किया है। उन्होंने पूरे कार्यकाल में लोगों में कहीं भी गुटबंदी का संकेत तक नहीं दिया बल्कि क्षेत्र में आपसी सद्भाव बनाये रखने में सफलता हासिल की। शांति और सद्भाव ही विकास और खुशहाली का आधार है।
चकनवाला के पास गंगा पोषक नहर पर निर्माणाधीन पुल राजीव तरारा की ऐतिहासिक उपलब्धि है। इससे खादर क्षेत्र के एक दर्जन से अधिक ऐसे लोगों की जिंदगी में नव जीवन का संचार हुआ है जिनकी कई पीढ़ियां बरसात में नारकीय जीवन जीने को मजबूर होती रहीं। सीसोवाली, बिसावली, जाटोवाली, ढीकोवाली, ढाकोवाली आदि दर्जनभर से अधिक गांव के लोगों का कहना है कि आजादी के सत्तर दशक में जितने भी चुनाव हुए, सभी उम्मीदवार पुल बनवाने का वादा करते रहे। जिला पंचायत, विधान सभा तथा लोकसभा के चुनावों में विजयी उम्मीदवारों ने इन गांवों की सुध नहीं ली। कई ने जीतने के बाद इधर आना भी मुनासिब नहीं समझा। लोग हर बार नेताओं द्वारा ठगे जाते रहे। आवागमन का मार्ग अवरुद्ध होने से लोगों को दुश्वारियों की सूची लंबी हो जाती थी। स्कूल और अस्पताल तक नहीं हैं। पुल बनने पर दूर-दराज जाने में आसानी रहेगी।
लोगों ने इस बार राजीव तरारा पर भरोसा किया था। उन्होंने लोगों का भरोसा कायम रखा और पुल निर्माण का काम शुरु करा दिया। इसके लिए उन्हें खादर क्षेत्र के कई दर्जन गांवों को हस्तिनापुर वन्य जीव विहार से मुक्त कराया। करीब दो दर्जन विभागों, जिनमें केन्द्र और राज्य दोनों शामिल हैं, से पुल निर्माण के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र हासिल किए। इसके लिए उन्होंने चार साल तक संघर्ष किया। उसी का परिणाम है कि खादर के कई हजार लोगों की एक बड़ी समस्या का निदान हुआ। दशकों से एक अन्य पुल की भी मांग धनौरा के खादर में थी। शेरपुर से आगे भी उन्होंने निर्माण पूरा कर लोगों के लिए राहत के द्वार खोल दिए। इससे निश्चित रुप से पूरे खादर क्षेत्र की आबादी में विकास का दौर शुरु हो गया है।
विधायक अपने गजरौला स्थित आवास पर सुबह को लोगों की समस्यायें सुनते हैं तथा उनका हर संभव समाधान करते देखे जा सकते हैं। इसी के साथ वे बिना भेदभाव गांव-गांव जाकर लोगों के सुख दुख के सहभागी बनते हैं। उनकी समस्यायें उनके द्वार पर पहुंच कर जानते हैं। शहरों में बैठकें कम करते हैं जबकि ग्रामांचलों में किसानों, मजदूरों तथा जरुरतमंदों के बीच उनकी सभायें अधिक होती रही है। डींगरा के दशकों से ठप्प पड़े बिजली घर को भी उन्होंने चालू कराकर सैकड़ों गांवों को राहत दिलायी।
बेहतर रिपोर्ट कार्ड की वजह से वे एक बार फिर से मैदान में आने वाले हैं। यह क्षेत्रीय जनता पर निर्भर करेगा कि वह उनके विकास कार्यों को कहां तक महत्त्व देती है।
-टाइम्स न्यूज़ मण्डी धनौरा.