बार-बार पेपर लीक क्यों नहीं रोकता सिस्टम?

बार-बार पेपर लीक क्यों नहीं रोकता सिस्टम?

जब से प्रदेश में बाबा योगी आदित्यनाथ की सरकार आई है तब से विभिन्न परीक्षाओं के प्रश्न-पत्र लीक होते रहे हैं। उसी श्रृंखला में टी.ई.टी. परीक्षा का प्रश्न-पत्र लीक होने से सूबे के बीस लाख अभ्यर्थी मन मसोस कर रह गये हैं। वर्षों से रोजगार की बाट जोह रहे इन युवाओं ने वर्षों की मेहनत और धन खर्च करने के बाद इस परीक्षा की तैयारी की थी। हालांकि बाबा जी ने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की घोषणा के साथ बुलडोजर चलवाने की बात की है।

यह हमारे बाबा का चिर​परिचित अंदाज में दिया बयान है। कार्रवाई तो होनी ही चाहिए लेकिन उससे भी बड़ा सवाल यह है कि आएदिन मजबूत सि​स्टम, पारदर्शिता और सुशासन का गुणगान तो किया जा रहा है, इसी तरह के विज्ञापनों में उद्योगपतियों के बड़े-बड़े अखबारों को प्रतिदिन सरकार करोड़ों रुपए दे रही है। यह जनता की गाढी कमाई का धन है। इसे सीमित करने की क्यों नहीं बात की जाती।

स्कूलों में अध्यापक नहीं हैं। अध्यापक बनने के इच्छुक लाखों पढ़े-लिखे युवक परीक्षाओं के जाल में फांस दिए गये हैं। सरकारी तंत्र की खामियों के कारण ऐसा हो रहा है। सरकार कहती है कि जल्दी ही फिर से परीक्षाएं की जाएंगी। केवल टी.ई.टी. ही नहीं पेपर लीक आम बात हो गयी है। इस बहाने नियुक्तियां लंबित पड़ी रहती हैं। स्वास्थ्य, शिक्षा, राजस्व, विकास विभाग आदि तमाम विभाग ऐसे हैं जहां रिक्तियों की भरमार है। फिर भी उन्हें गंभीरता से नहीं लिया जा रहा।

बेसिक शिक्षा सचिव दीपक कुमार का कहना है कि जिस एजेंसी को परीक्षा का दायित्व सौंपा गया था, वह भी जांच के घेरे में है। गिरफ्तार लोगों से पूछताछ पर पता चला है कि पेपर लीक के तार सचिवालय से जुड़े हैं। एसटीएफ जानकारी में जुटी है। सचिवालय से जुड़े कई दलालों की तलाश भी की जा रही है। पुलिस और प्रशासन अपना काम करेगा। देर-सबेर अपराधी पकड़ में भी आ जाएगा। लेकिन बीस लाख युवक फिर से परीक्षा की उम्मीद में इंतजार करेंगे। यह नहीं कहा जा सकता कि वह दिन कब आएगा। प्रदेश में आसन्न चुनावों के लिए आचार संहिता लगने में अधिक समय नहीं। ऐसे में अब ये परीक्षाएं चुनाव बाद यानी नई सरकार की मंशा पर निर्भर करेंगी। नौकरी तो नौकरी, पात्रता परीक्षा का ही नहीं पता कब होगी? ऐसे में रोजगार की उम्मीद में युवाओं को बुढ़ापे का अनुभव होने लगेगा। पेपर लीक की घटनाओं को रोकने में बाबा का प्रशासनिक सिस्टम कब तक दुरुस्त होगा? कोई नहीं जानता।

-जी.एस. चाहल.