सीट बंटवारे के लिए सपा-रालोद में खींचतान : नौगांवा और हसनपुर सीटों पर भाजपा, सपा में कांटे की टक्कर

नौगांवा और हसनपुर सीटों पर भाजपा, सपा में कांटे की टक्कर

नौगांवा सादात और हसनपुर विधानसभा सीटों पर घोषित भाजपा उम्मीदवारों के खिलाफ जहां कुछ पार्टी कार्यकर्ताओं में रोष है, वहीं सपा-रालोद गठबंधन में भी आपसी मतभेद शुरु हो गए हैं। रालोद कार्यकर्ता धनौरा और नौगांवा सीटों की मांग पर अड़े हैं जबकि सपा जनपद की चारों सीटों पर उम्मीदवार उतारने को तैयार हैं। उसने चारों सीटों के लिए उम्मीदवार प्रचार के लिए उतार भी दिए।

भाजपा ने धनौरा से मौजूदा विधायक राजीव तरारा को फिर से मैदान में उतारा है। तरारा जिले की चारों सीटों से विजयी उम्मीदवारों में 2017 में सबसे अधिक मतों से जीते थे। इस बार भी धनौरा सीट पर भाजपा कार्यकर्ताओं में उनके नाम पर सह​मति है। प्रमुख प्रतिद्वंदी सपा-रालोद गठबंधन में उम्मीदवार के लिए मचे संघर्ष के कारण अभी तक उम्मीदवार घोषित न होने का भी उन्हें लाभ मिल रहा है। रालोद और भाकियू यहां से रालोद उम्मीदवार की मांग पर अड़े हैं। यहां के करीब 55 हजार जाट मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं। यदि यह सीट रालोद को नहीं मिली तो ये लोग फिर से भाजपा की ओर रुख कर सकते हैं। इससे गठबंधन उम्मीदवार को नुक्सान होगा तथा भाजपा की राह बहुत आसान हो जाएगी। वैसे भी भाजपा विधायक का रिपोर्ट-कार्ड बहुत ही बेहतर रहा है। धनौरा में इस बार सपा-रालोद गठबंधन भाजपा को कड़ी टक्कर देगा।

उधर नौगांवा सादात में भाजपा ने क्षेत्रीय दिग्गज देवेन्द्र नागपाल को मैदान में उतारा है। भले ही चन्द चौहान बिरादरी के लोग उनका विरोध कर रहे हैं लेकिन वे क्षेत्र के एकमात्र ऐसे नेता हैं जो विधानसभा का चुनाव निर्दलीय जीते हैं और अपने बड़े भाई हरीश नागपाल को भी निर्दलीय सांसद बनवाने में सफल रहे हैं। वे स्वयं भी चेतन चौहान और महमूद मदनी जैसे दिग्गजों को परास्त कर सांसद का चुनाव जीते हैं। उनकी पत्नी अंशु नागपाल गजरौला की मौजूदा चेयरमेन हैं। इन सभी चुनावों में देवेन्द्र नागपाल ने क्षेत्र के सभी जातीय व साम्प्रदायिक समीकरणों को ध्वस्त कर बार-बार फतह हासिल की जबकि उनकी अपनी बिरादरी के सबसे कम मतदाता हैं। नागपाल समर्थकों का दावा है कि जनता की सेवा के बदले लोगों को उनपर भरोसा है इसी वजह से वे फिर फतह हासिल करेंगे।

देवेन्द्र नागपाल के सामने सपा ने अपने पूर्व मंत्री कमाल अख्तर को मैदान में उतारा है। वे सपा प्रमुख आखिलेश यादव के बहुत विश्वासपात्र हैं। वे अभी तक हसनपुर विधानसभा क्षेत्र से राजनीति करते रहे हैं। जहां उन्हें उनके कद के अनुरुप जनसमर्थन नहीं मिल सका। वे केवल एक बार विधानसभा का चुनाव जीते। हालांकि उन्हें सपा ने एक बार राज्यसभा में भी भेजा था। वे प्रदेश की सपा सरकार में मंत्री भी रहे। भले ही इस बार वे नौगांवा सादात से उम्मीदवार बनाये गये हों लेकिन इस सीट पर अभी भी रालोद दावेदारी जता रहा है। ऐसे में सपा उम्मीदवार का रालोद खेमे में मौन विरोध चल रहा है। रालोद इस पर पूर्व विधायक अशफाक अली खां को मैदान में लाना चाहता है। नेतृत्व धनौरा और नौगांवा सीटों की गुत्थी सुलझाने में माथापच्ची कर रहा है।

-टाइम्स न्यूज़ अमरोहा.