ईमानदार राजनीतिक पृष्ठभूमि सरजीत सिंह की ताकत, नौगांवा से उम्मीदवारी की दावेदारी

ईमानदार राजनीतिक पृष्ठभूमि सरजीत सिंह की ताकत

समाजवादी पार्टी यदि नौगांवा सादात विधानसभा क्षेत्र से स्व. चन्द्रपाल सिंह के बेटे सरजीत सिंह को मैदान में लाती है तो यह सीट फतह करनी आसान हो जायेगी बल्कि जनपद की चारों सीटों के परिणाम सपा के हित में होंगे। यह दावा सरजीत सिंह तथा उनके समर्थकों ने किया है। हालांकि इस सीट पर रालोद अपना दावा ठोक रहा है।

उल्लेखनीय है कि सरजीत सिंह के स्व. पिता चौ. चन्द्रपाल सिंह ने साठ दशक से भी लंबा राजनीतिक सफर तय किया था। सहकारी संस्थाओं के माध्यम से राजनीति में आये थे। बाद में दो बार सांसद भी रहे तथा मुलायम सिंह यादव की सरकार में केबिनेट मंत्री भी रहे। चौधरी चरण सिंह के साथ वे बराबर कदमताल करते रहे तथा उनके साथ किसानों के लिए संघर्ष में जुटे रहे। चौ. चन्द्रपाल सिंह का नाम उन गिनेचुने नेताओं में हमेशा याद किया जाता रहेगा जिन्होंने संपूर्ण राजनीतिक जीवन में सिद्धांतों, नैतिकता और ईमानदारी को महत्व दिया। सबसे लंबा राजनैतिक सफर तय करने के बावजूद वे बेदाग रहे। उनके विरोधी भी उनकी ईमानदारी और स्पष्टवादिता के हमेशा कायल रहे। हालांकि उन्हें विपक्षी नेताओं के बजाय अपनी पार्टी के नेताओं ने अधिक परेशान किया। निर्भीकता के साथ वे जुटे रहे तथा कभी भी पीछे नहीं हटे। उनकी बेदाग छवि उन्हें दूसरे नेताओं से अलग करती है। सरजीत सिंह की पत्नी रेनु चौधरी जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव जीती थीं। इसका सीधा श्रेय चौ. चन्द्रपाल सिंह की छवि से जुड़ा है। केवल चन्द्रपाल सिंह ही नहीं बल्कि उनका परिवार एक स्वच्छ तथा ईमानदार छवि की साक्षात मिसाल है।

सरजीत सिंह तथा उनके समर्थकों का कहना है कि नौगांवा सीट पर यदि उन्हें मैदान में लाया गया तो वे अजेय उम्मीदवार सिद्ध होंगे। यदि किसी मुस्लिम उम्मीदवार को लाया गया तो यहां के निर्णायक जाट किसान समुदाय में यह संदेश जायेगा कि सारी सीटें मुसलमान उम्मीदवारों को ही दे दीं, ऐसे में जाट समुदाय को भाजपा अपनी ओर आक​र्षित करेगी। चार में से एक सीट तो इन्हें मिलनी ही चाहिए ताकि दूसरी सीटों पर सपा-रालोद के साथ जाट एकजुट हो सकें। किसानों का बिजली बिल आधे करने से किसानों में फिर से भाजपा के साथ आने की चर्चायें होने लगी हैं। ऐसे में सरजीत सिंह ऐसे उम्मीदवार सिद्ध होंगे जिन्हें केवल जाट ही नहीं बल्कि सभी समुदायों का कृषक वर्ग पसंद करता है।

हो सकता है जल्दी ही सपा-रालोद गठबंधन की सीटों का फैसला हो जाये। यदि सीट रालोद के खाते में गयी तो बात दूसरी है।

-टाइम्स न्यूज अमरोहा.