चुनाव प्रचार सम्पन्नता की ओर है ऐसे में सभी उम्मीदवार प्रचार में पूरी ताकत झोंक रहे हैं। यहां एक ओर भाजपा दिग्गज देवेन्द्र नागपाल हैं तो उनके सामने सपा उम्मीदवार समरपाल सिंह हैं। बसपा ने भी अपना उम्मीदवार उतारा है। यहां जय-पराजय का फैसला जाट मतदाताओं के हाथ में है। इसीलिए भाजपा और सपा दोनों में ही जाट मतदाताओं को अपने-अपने पाले में खींचने की कोशिश जारी है। यह मतगणना के बाद ही पता चलेगा कि जाट किसकी खाट खड़ी करेंगे या किसे ठाट करायेंगे।
भाजपा उम्मीदवार देवेन्द्र नागपाल चुनावी चौसर के परिपक्व खिलाड़ी हैं। वे जिला पंचायत सदस्य, विधानसभा सदस्य और लोकसभा सदस्य के चुनाव दिग्गज नेताओं को पराजित कर भारी बहुमत से जीत चुके हैं। इन चुनावों को जीतने में उनकी जबर्दस्त चुनावी रणनीति और मतदाताओं की नब्ज पकड़ने की क्षमता महत्वपूर्ण रही है। सभी वर्ग के युवा उनसे प्रभावित रहे हैं। 2017 में नागपाल अपनी धर्मपत्नी अंशु नागपाल को गजरौला नगर पालिका परिषद की चेयरपर्सन बनाने में सफल रहे। उन्होंने रिकार्ड मतों से विजय हासिल की। आज गजरौला एक लाख से नीचे की आबादी वाले स्मार्ट नगरों में तीसरे स्थान पर है। यहां सौन्दर्यीयकरण के साथ कई उल्लेखनीय काम हुए हैं। इसकी गूंज नौगांवा सादात तो क्या पूरे सूबे तथा उससे बाहर भी सुनाई दे रही है। वे प्रयास में हैं कि जाट मतदाताओं में से अधिकांश अपने पाले में लायें। उन्होंने दावा किया है कि उन्हें सत्तर फीसदी जाट बंधु समर्थन दे रहे हैं। उनके समर्थक वेदपाल सिंह तथा सुरेन्द्र सिंह स्टेट का कहना है कि मतदान की तिथि तक अस्सी फीसदी से ज्यादा जाटों का जुड़ाव उनके साथ हो जायेगा। देवेन्द्र नागपाल का कहना है कि उन्हें सभी वर्गों का भरपूर समर्थन उसी तरह मिल रहा है जैसे समर्थन से वे पिछले चुनाव जीते हैं। वे हिन्दू-मुस्लिम दोनों समुदायों में अपनी घुसपैठ बनाये हैं। वे भारी बहुमत से जीतेंगे।
सपा-रालोद गठबंधन उम्मीदवार समरपाल सिंह भी जाटों पर भरोसा जमाये बैठे हैं। उनका दावा है कि किसान खासकर जाट समुदाय भाजपा से नाराज है वह जयंत चौधरी के नाम पर गठबंधन उम्मीदवार को मतदान करेगा। वे यह भी प्रचार कर रहे हैं कि गठबंधन के अलावा किसी ने जाटों को जनपद में उम्मीदवार नहीं बनाया इसलिए जिले के एकमात्र सजातीय भाई को वोट करें। उनका दावा है कि मुस्लिम मतदाता तथा यादव समुदाय उनके साथ मजबूती से खड़े हैं। ऐसे में अखिलेश-जयंत सरकार को मौका देने का समय है। उनके समर्थक विक्रांत गोलू का कहना है कि भाकियू की युवा टीमें गांव-गांव लगा दी गयी हैं। उन्होंने भी जाट बहुमत अपने पक्ष में बताया।
बसपा से मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में हैं लेकिन यह समुदाय गठबंधन उम्मीदवार की ओर एकजुट दिखता है। वैसे भाजपा-सपा में टक्कर के आसार हैं। दोनों में जो भी जाटों का आशीर्वाद पाने में सफल रहेगा उसी के ठाट होंगे जबकि इस नीति में जो विफल रहेगा उसकी खाट खड़ी होनी है। दस मार्च में खुलासा होना है।
-टाइम्स न्यूज़ नौगांवा सादात.