पहले ही औद्योगिक प्रदूषण के शिकार नगरवासियों को रेलवे जंक्शनल पर उतारी जा रही डस्ट से और भी मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है। बिना सूचना दिए यहां उतारी जा रही डस्ट के गुबार से लोगों को सांस लेना दूभर हो जाता है। राह चलते लोग सिर और मुंह ढकने को मजबूर हो जाते हैं। वहीं रेलवे जंक्शन के निकट पूरब और पश्चिम में बसी आबादी के लोग अपने घरों के तमाम दरवाजे, खिड़कियां तथा रोशनदान बंद करने को मजबूर हो जाते हैं। दरअसल यहां काफी बड़ा गुड्स प्लेटफॉर्म है। जहां पर यहां के उद्योगों सहित बड़े-बड़े व्यापारियों का माल उतारा-चढ़ाया जाता है। भवन निर्माण में काम आने वाली पत्थर क्रेशरों से उत्पन्न डस्ट मालगाड़ियों के जरिए यहां लाकर प्लेटफॉर्म पर उतारी जाती है जिसके धूल के गुबार आसपास की आबादी और पूरे स्टेशन क्षेत्र में फैल जाते हैं। रेलगाड़ियों में सवार तथा उनमें उतरने-चढ़ने वाले यात्रियों को भी कई बार डस्ट का शिकार होना पड़ता है। किसी आयोजन आदि में जा रहे लोगों के कपड़े तक धूल से सराबोर होकर उनकी दुविधा बढ़ा देते हैं।
रेलवे स्टेशन के निकट बसे प्रखर समाजसेवी तेजवीर सिंह अलूना, युवा व्यापारी तथा सामाजिक कार्यकर्ता नवीन गर्ग, अजय शर्मा, एलसी गहलौत और सोनू कश्यप आदि का कहना है कि रेलवे स्टेशन के पश्चिम और पूरब की आबादी के लिए गुड्स प्लेटफॉर्म अभिशाप बन गया है। जिस समय यहां मालगाड़ी से डस्ट और सीमेंट उतारा जाता है तमाम इलाके में धूल के गुबार उठने लगते हैं। सिर से पांव तक धूल में घिरने का खतरा उत्पन्न हो जाता है। हवा तेज हुई तो लोगों के घरों तक में धूल भर जाती है। उपरोक्त जागरुक नागरिकों ने समस्या के समाधान के लिए स्टेशन अधीक्षक देवेन्द्र सिंह से बात की तो उन्होंने जल्दी ही इस समस्या का निदान कराने का आश्वासन दिया। यह भी पता चला है कि लोगों की नाराजगी को गंभीरता से लेकर रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी दोनों ओर टिन की बाड़ लगाना चाहते हैं।
नगरवासियों का कहना है कि जिस तरह भी हो धूल पर काबू किया जाना जरुरी है। इसमें विलम्ब स्वीकार्य नहीं होगा। यह उनकी सेहत से जुड़ा मामला है। यहां पहले ही औद्योगिक प्रदूषण की मार झेलने को लोग मजबूर हैं।
-टाइम्स न्यूज़ गजरौला.