नलकूपों पर बिजली मीटर लगाने को लेकर किसान सरकार से नाराज हैं। किसान संगठन मीटर लगाने के खिलाफ जोरदार ढंग से आंदोलन के मूड में हैं। किसानों का कहना है कि सरकार ने बिजली मुफ्त देने की घोषणा की है। जब बिजली मुफ्त दी जायेगी तो मीटर लगाने की क्या जरुरत है? दूसरी ओर बिजली विभाग के अधिकारी कह रहे हैं कि उनके पास बिजली बिल माफी या मुफ्त देने का कोई शासनादेश नहीं आया। ऐसे में बिजली बिल देना होगा।
मुफ्त बिजली देने के शासन के एलान से किसान खुश हो गये थे और भाकियू संगठनों के नेताओं ने योगी सरकार का आभार प्रकट किया था। अब सरकार की चुप्पी और बिजली अफसरों का बिजली बिल माफ न करने के बयान से किसानों में रोष और असमंजस है। गन्ने का भाव न बढ़ाये जाने और आलू की मिट्टी पिटने से पहले ही किसान परेशान हैं। अब बिजली बिलों में छूट न मिलने से उनकी दिक्कत और बढ़ गयी है। जिसे लेकर किसान फिर से बड़े आंदोलन की तैयारी में जुटने की नीति में जुटे हैं। भाकियू टिकैत तो 20 मार्च को दिल्ली में महापंचायत का एलान कर चुकी। चौधरी टिकैत के नेतृत्व में किसान तैयार बैठे हैं। भाकियू शंकर के अध्यक्ष चौधरी दिवाकर सिंह, भाकियू चढ़ूनी के जिलाध्यक्ष नरेश सिंह, भाकियू असली के रा.उपाध्यक्ष सुरेन्द्र सिंह आदि किसान नेताओं ने कहा है कि भाजपा वि.स. चुनावों से पूर्व किसानों को मुफ्त बिजली का वादा किया था। चुनाव जीतने के बाद भी सरकार ने इसे दोहराया लेकिन वादा करने के बजाय नलकूपों पर मीटर लगवाने शुरु कर दिए। किसानों का कहना है कि सरकार ने शीघ्र ही बिजली बिल माफी का शासनादेश अधिकारियों को नहीं भेजा तो यह धोखा माना जायेगा जिसके खिलाफ किसान सड़कों पर उतरने को मजबूर होगा।
-टाइम्स न्यूज़ अमरोहा.